जांजगीर-चम्पा जिले के ग्राम पंचायत फरसवानी के सरपंच द्वारा जारी पत्र के आधार पर मवेशियों के बड़े पैमाने पर तस्करी का मामला सामने आया है। तस्कर सरपंच के पत्र के सहारे रविवार रात 100 से अधिक मवेशियों को अलग- अलग झुंड में हांकते हुए रायगढ़ ढिमरापुर उर्दना पुलिस बटालियन मार्ग से जा रहे थे। इसी दौरान कुछ ग्रामीणों की नजर उन पर पड़ी और रोक कर पूछताछ की जिस पर मवेशियों को वृंदावन ले जाने की जानकारी दी। उनकी जवाब से असंतुष्ट ग्रामीणों ने इसकी सूचना कोतवाली पुलिस, कंट्रोल रुम को दी। पकड़े जाने के डर से तस्कर मशेवी को मौके पर ही छोड़कर भाग गए। कापᆬी देर तक पुलिस के नहीं पहुंचने से ग्रामीण भी चले गए और मवेशी पास के जंगल में चले गए।
रविवार रात्रि लगभग 11ः30 बजे ढिमरापुर चौक से उर्दना बटालियन, पीछे बस्ती के रास्ते सैकड़ों की संख्या में मवेशियों को हांकते हुए कुछ लोग अलग-अलग झुंड में लेकर जा रहे थे। इस पर राहगीर व ग्रामीणों की नजर पड़ी तो उन्होंने मवेशियों के बारे में जानकारी ली। मवेशी ले जा रहे रमेश भगत और उत्तम राम सतनामी ने बताया कि मवेशियों को वह जांजगीर चम्पा से लेकर तोलगे जा रहे है। उसे पहाड़ में छोड़कर वापस आने की बात कही। आए दिन मवेशियों की तस्करी को देखते हुए लोगो को कुछ गड़बड़ होने की आशंका नजर आई। ततपश्चात वैध दस्तावेज की मांग की गई तो उन्होंने सरपंच के पत्र की कापी दिखाई । इस पर जब उन्होंने बताया कि सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना मवेशियों को इधर से उधर नहीं ले जाया जाता है, तो उनमें से कुछ लोग गोल मोल की बातों को टालते हुए भागने लगे। सम्भवतः इन मवेशी तस्करों को यह भनक लग चुकी थी कि अब मवेशियों को आगे ले जाना मुनासिब नहीं है इसलिए बीच रास्ते पर छोड़ मवेशी तस्कर अपनी जान बचाने पर उतारू हो कर नौ दो ग्यारह हो लिए । क्योकि उन्हें भी पता है कि बात जब बढ़ेगी तो पुलिस से सामना करना पड़ेगा और पुलिस के सामने सारा झूठ पकड़ा जाएगा इसलिए मवेशी तस्कर मवेशियों को छोड़ फरार हो गए।
मवेशी तस्कर पीछा छोडवाने के लिए बहाना मरते है। आश्चर्य की बात यह है कि जांजगीर से रायगढ़ तक किसी ने इतनी संख्या में रात के समय हांकते हुए ले जाने के दौरान इन्हें नही रोके और न ही पूछताछ किए। इसे लेकर उन्होंने सम्बंधित थाने व पुलिस कंट्रोल रूम में भी इसकी सूचना दिए लेकिन पुलिस द्वारा कोई संज्ञान नही लिए जाने से पुलिस की व्यवस्था पर भी सवाल उठना लाजमी है।