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✍ अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन एवं पूजन के बाद अनंत सूत्र बांधने का विधान ………

भगवान गणेश विदाई अनंत चतुर्दशी के दिन होती है

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पंचांग के अनुसार साल में चतुर्दशी की तिथि चौबीस बार आती है। इसमें से कृष्ण चतुर्दशी, नरक चतुर्दशी एवं अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर, दिन रविवार को पड़ रही है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु के शेष अंश, शेषनाग को अनंत भी कहा जाता है। इस दिन अनंत नाग के पूजन के बाद अनंत सूत्र हाथ में बांधने का विधान है। अनंत सूत्र को बांधने की विधि और इसका महात्म…

अनंत चतुर्दशी के दिन विधि पूर्वक भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन करने के बाद अनंत सूत्र बांधने का विधान है। अनंत सूत्र या अनंता सूत या रेशम की डोरी से बनाया जाता है। इसे हल्दी या केसर से रंग कर, इसमें चौदह गांठ लगाई जाती है। प्रत्येक गांठ लगाने पर भगवान विष्णु के इन नामों का स्मरण करना चाहिए। पहले में अनंत,उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, बैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द। अनंत सूत्र की चौदह गांठे श्री हरि द्वारा बनाये गए चौदह लोकों का प्रतीक हैं। अनंत सूत्र को पूजन के बाद कच्चे दूध में डुबो कर हाथ पर बांधा जाता है। पुरूषों को इसे दांये हाथ पर व महिलाओं को बांए हाथ पर बांधना चाहिए। अनंत सूत्र बांधते समय ऊँ अनंताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

अनंत चतुर्दशी और इस दिन अनंत सूत्र बांधने के महात्म का वर्णन अग्नि पुराण और महाभारत में मिलता है। अनंत सूत्र को अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है, मान्यता है कि इसको बांधने से दीर्ध आयु, निरोगी काया की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अनंता को जीवन के समस्त दुखों और पापों का नाश करने वाला माना जाता है। महाभारत में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को जुए में हारा हुआ राजपाट पुनः प्राप्त करने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने को कहा था। अनंत सूत्र बांधने के बाद चौदह दिनों तक तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से श्री हरि की अनंत कृपा की प्राप्ति होती है।

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन……..

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है, जिनकी विदाई अनंत चतुर्दशी के दिन होती है। इस साल गणेश विसर्जन 19 सितंबर को है। इस दिन धूमधाम से भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा को जल में प्रवाहित करते हैं। गणेश जन्मोत्सव पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है। इस दिन लोंग अपने घरों और मण्ड़लों में स्थापित गणेश प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले विधिवत गणेश पूजन करने के बाद हवन व स्वस्तिवाचन करना चाहिए। इसके बाद लकड़ी का स्वच्छ पाट ले कर, उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इस पाट पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा कर, उसके चारों कोनों पर सुपारी रखें। अब जयघोष के साथ गणेश प्रतिमा को पूजा स्थान से उठा कर पाट पर रखें।

पाट पर रखने के बाद पुनः गणेश जी का पूजन,अर्चन कर उनकी आरती करें। गणेश जी को फल, फूल, मोदक आदि का भोग लगा कर, उनके भोग की सामग्री को एक पोटली में बांध कर गणेश जी के साथ रख दें। इसके बाद हाथ जोड़ कर गणेश जी से पूजन में हुइ भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें और अपनी कृपा बनाएं रखने की कामना करें। इसेक बाद गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष करते हुए पाट सहित गणेश प्रतिमा को अपने हाथों या कंधे पर रख कर विसर्जन स्थल पर ले जाएं।

गणेश प्रतिमा को पूरे सम्मान के साथ विसर्जित करें और बाद में गणेश जी की कपूर से आरती करें। अगले बरस भगवान के फिर से आने की कामना के साथ विसर्जन स्थल से विदा लें। भगवान गणेश सच्चे मन से की हुई कामना को जरूर पूरा करते हैं तथा भक्तों के सारे दुख और सकंट अपने साथ ले जाते हैं।

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