बिलासपुर। रायपुर जिले की तिल्दा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सुन्न्ी में तत्कालीन सरपंच ने गोठान व श्मशान की जमीन पर निजी लोगों को पट्टा दे दिया है। इस मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई चार सप्ताह टल गई है। दरअसल इस प्रकरण में हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी शासन ने अब तक जवाब नहीं दिया है। इसके चलते शासन को जवाब दने के लिए दोबारा समय दिया गया है।
अधिवक्ता मजिद अली ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि जनपद पंचायत तिल्दा के ग्राम पंचायत सुन्न्ी में तत्कालीन सरपंच व सचिव ने भूमि पट्टा बांटने के लिए शासकीय जमीन का बंदरबाट किया है। यहां तक गांव में गोठान व श्मशान के लिए सुरक्षित जमीन का भी पट्टा दे दिया है। आरोप है कि इसके एवज में 15-15 हजार स्र्पये की वसूली की गई है। याचिका में बताया गया है कि आबादी भूमि का पट्टा प्रविधान के तहत प्रकिया का पालन कर दिया जाता है।
लेकिन गांव में किसी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही पट्टा दे दिया गया है। मामले की शिकायत तहसीलदार व एसडीएम से की गई। लेकिन राजस्व अधिकारियों ने न तो जांच की और न ही कार्रवाई की। इसके चलते न्याय के लिए हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। इस मामले में राज्य शासन, राजस्व सचिव, रायपुर कलेक्टर, तिल्दा के एसडीएम के साथ ही पूर्व सरपंच व सचिव को पक्षकार बनाया गया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर सभी पक्षकारों से जवाब मांगा था। सोमवार को इस प्रकरण की सुनवाई हुई। लेकिन अब तक शासन ने जवाब नहीं दिया है। सुनवाई के दौरान शासन ने जवाब के लिए समय मांगा। जिस पर कोर्ट ने तीन सप्ताह की मोहलत दी है।