अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैदानी इलाकों में इस बार रबी में आलू की बोवाई अब तक नहीं हो पाई है जबकि 15 सितंबर के बाद सरगुजा में आलू लगाना किसान शुरू कर देते है। जिले में छह हजार हेक्टेयर में आलू की खेती की जाती है किंतु इस बार अब तक एक हजार हेक्टेयर में भी किसानों ने आलू नहीं लगाया है। ऐसी स्थिति में आलू की खेती पिछड़ने के कगार पर है। किसानों के साथ आलू बीज व्यवसायी भी खासे परेशान हैं। किसानों ने खेतों की तैयारी कर ली थी किंतु लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया और नमी इतनी हो गई कि जोताई किए गए खेत में आलू लगाना मुश्किल हो गया। इधर तीन-चार दिनों से मौसम खुला है किंतु खेतों में नमी इतनी हो गई है की दो-चार दिन और आलू लगा पाना आसान नहीं है। मौसम विभाग के मुताबिक अभी भी बारिश की संभावनाएं खत्म भी नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में अक्टूबर माह में भी आलू लगाने का काम यदि किसान नहीं कर पाएंगे तो इस बार आलू से भारी नुकसान होना तय है। गौरतलब है कि रबी सीजन में आलू की खेती किसान यहां बड़े पैमाने पर करते हैं, जिससे मूल्य का नियंत्रण भी बना रहता है। मूल्य नियंत्रण न होने से उत्तर प्रदेश के कानपुर व अन्य प्रांतों से आलू मंगाया जाता है जो महंगा पड़ता है। इस बार वैसे भी आलू की कीमत ने लोगों को रुला दिया है। अभी भी बाजार में 40 से 45 रुपये किलो आलू खरीदने लोग मजबूर हैं। स्थानीय स्तर पर आलू की बंपर पैदावार के कारण कुछ माह तक मूल्य नियंत्रण रहता है। सरगुजा में किसान बारिश तक आलू सुरक्षित रखते हैं। अधिकांश किसान कोल्ड स्टोर में आलू रख देते हैं तो कुछ किसान घर में ही फैला कर रखते हैं ताकि आलू सड़ न पाए किंतु आलू इस बार आलू न लग पाने से उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
इस बार आलू बीज व्यवसायी भी खासे परेशान हैं। कोल्ड स्टोर में रखे बीजों को व्यवसायियों ने मौसम खुलने के साथ सितंबर माह में ही बाहर निकाल दिया था। ऐसी स्थिति में दुकानों में बीज खराब हो रहे हैं। बीजों से जड़ें निकल जाने के कारण टूटने लगे हैं। आलू बीज में सड़न भी काफ़ी तेजी से होती है। किसानों को तो दिक्कतें होती ही है बीज व्यवसायियों को भी नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों को अब पूरी तरह मौसम खुलने का इंतजार है ताकि रबी में आलू की फसल किसान ले सकें। इस बार आलू बीज की महंगाई से किसान परेशान हैं। गत वर्ष की तुलना में इस बार आलू बीज दोगुने दाम पर बिक रहा है। गत वर्ष अधिकतम 15 रुपये किलो किसानों ने आलू का बीज खरीदा था किंतु इस बार आलू का बीज 35 रुपये पार कर गया है। ऐसे हालात में किसान आलू भी ज्यादा रकबे में लगा नहीं पा रहे हैं। खैरबार के किसान इंदर साय का कहना है महंगे आलू बीज से ज्यादा रकबे में खेती नहीं की जा सकती। प्रति एकड़ के हिसाब से कम से कम ढाई क्विंटल आलू लगता है ऐसे में लागत अधिक लगने से आलू में फायदा नहीं हो पाएगा।
सरगुजा जिले में हर किसान आलू लगाता है। रबी में किसानों की बाड़ी में आलू हर हाल में लगा मिलता है। घर में लाल आलू खाने के लिए किसान पांच डिसमिल से लेकर एक एकड़ तक में लगाता है किंतु इस बार आलू कहीं नजर नहीं आ रहा है। किसानों के खेतों व बाड़ी में आलू लगना शान भी समझा जाता है। जिस किसान के खेत में आलू की हरियाली दिखती है उससे हर कोई आकर्षित होता है।
उद्यानिकी विभाग के उप संचालक केएस पैकरा ने कहा कि सरगुजा में छह हजार हेक्टेयर में आलू की फसल किसान लेते हैं, किंतु इस बार मौसम ने साथ नहीं दिया।15 सितंबर से 30 अक्टूबर तक आलू की अगेती खेती किसान कर देते हैं। इस बार किसान पिछड़े हैं। कुछ किसानों ने आलू लगा दिया था। तेज बारिश से आलू भी सड़ गया और किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। अब किसान मौसम खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम खुलने के बाद आलू लगाएंगे किंतु लेट लतीफ आलू लगने पर झुलसा सहित कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। दिसंबर-जनवरी माह में पाला गिरने से आलू को नुकसान पहुंचता है इसलिए आलू की अगेती खेती से ही लाभ है। हालांकि अभी किसानों के पास समय है। जल्द से जल्द आलू लगा दें।