रायपुर । हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की पूर्णिमा पर व्रत करने का महत्व है, लेकिन अधिक मास यानी पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करना विशेष फलदायी होगा। इस बार यह पूर्णिमा माता लक्ष्मी के खास दिन माने जाने वाले गुरुवार को है, इसलिए अधिक फलदायी मानी जा रही है।
ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार पुरुषोत्तम मास की पूर्णिमा पर भगवान लक्ष्मीनारायण का व्रत करने से मनुष्य की समस्त सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत को करने से धन, संपत्ति, सुख, वैभव में वृद्धि होती है। जिनकी शादी नहीं हो रही, यदि वे पूर्णिमा का व्रत करें तो सुयोग्य वर-वधु की प्राप्ति होती है। अधिक मास की पूर्णिमा गुरुवार एक अक्टूबर को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में वृद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग के संयोग में पड़ रही है, इसलिए इस योग में पूजा करने से हर तरह के कार्य सिद्ध होंगे।
- सूर्योदय से पूर्व स्नान कर उगते सूर्य को जल अर्पण करें, हाथ में अक्षत, जल, पूजा की सुपारी लेकर व्रत का संकल्प लें।
- पूजा के लिए पूर्व दिशा में मुख कर बैठ जाएं। एक चौकी पर लाल और पीला वस्त्र बिछाकर लक्ष्मीनारायण को स्थापित करें।
- लाल, सफेद और पीले फूल अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी को कमल का पुष्प अर्पित करें।
- सुहाग सामग्री माता लक्ष्मी को अर्पित करके मखाने की खीर, मिठाई का भोग लगाएं
- आरती के बाद लक्ष्मीनारायण व्रत की कथा सुनें। रात्रि में पूर्णिमा के चांद का दर्शन-पूजन कर जल अर्पित करें।
- चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः चन्द्रमासे नमः’ मंत्र का जाप करें।
- इससे पहले सुबह सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित कर ‘ऊँ सूर्याय नमः’ का जाप करें।