रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान एक बार फिर सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है। कांग्रेस ने जिस धान की कीमत और कर्जमाफी को चुनावी हथियार बनाकर सत्ता पाई थी, अब विपक्ष उसी के बहाने सरकार को घेर रहा है। धान के कटोरे में किसानों के बोनस पर उबल रही राजनीति के बीच मंत्री टीएस सिंहदेव ने वादा पूरा नहीं होने पर इस्तीफा देने की घोषणा की, तो पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा कि वादाखिलाफी और सियासी नौटंकियों का एक दिन यही हश्र होगा।
सिंहदेव के बयान के बहाने विपक्ष सत्ता में तालमेल नहीं होने के साथ-साथ सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधने में भी पीछे नहीं है। कांग्रेस जन घोषणा पत्र के अनुसार किसानों को धान का बोनस एक साथ नहीं मिलने पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव को घेरा तो सिंहदेव ने विपक्ष को चुनौती दी।
सिंहदेव ने कहा कि हम जो वादा करते हैं, उसे पूरे करते हैं। भूपेश सरकार वादे पूरा करने के लिए संकल्पित है। कैबिनेट का फैसला है कि अगली फसल से पहले अंतर की राशि की दूसरी किस्त दे दी जाएगी। विपक्ष के लोग भ्रम फैला रहे हैं। सिंहदेव ने कहा कि सरकार अंतर की राशि की दूसरी किश्त नहीं दे पाएगी तो इस्तीफा दे दूंगा।
सिंहदेव यह कहने से भी नहीं चूके कि अगर हम अपना वादा पूरा कर देंगे, तो किसानों के बीच भ्रम की राजनीति करने वाले विपक्ष के जवाबदेह नेता क्या करेंगे क्या वे भी गलत आरोप और भ्रम फैलाने को स्वीकार करते हुए इस्तीफा देंगे।
दरअसल, सिंहदेव ने एक दिन पहले ही शिक्षाकर्मियों की भर्ती नहीं होने पर दुख जताया और कहा था कि मैं वादे पूरे नहीं होने पर शर्मिंदा हूं, लेकिन प्रतिभागी सरकार पर भरोसा रखें। सोशल मीडिया पर सिंहदेव की पोस्ट पर शिक्षाकर्मी उम्मीदवार से लेकर किसान लगातार ट्वीट कर रहे हैं। वे धान के बोनस के अंतर की राशि से लेकर नई भर्ती को लेकर सरकार को आगाह कर रहे हैं
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि भाजपा लगातार जिन मुद्दों पर सरकार की आलोचना कर रही है, सिंहदेव के इस्तीफे की पेशकश से उस पर मुहर लग रही है। सिंहदेव की यह पेशकश सरकार के राजनीतिक चरित्र के ताबूत की पहली और आखिरी कील साबित होगी।
सिंहदेव ने किसानों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर सरकार को सबक सिखाने का जो संकल्प व्यक्त किया है, भाजपा उसका स्वागत करती है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी प्रदेश के जमीनी सच को जानने की चेष्टा नहीं की। मुख्यमंत्री के झूठ के रायते का स्वाद ही लेता रहा। सरकार में उपजा यह असंतोष कांग्रेस नेतृत्व की इसी उदासीनता का परिणाम है। सिंहदेव की यह पहल प्रदेश को नाकारा, नेतृत्वहीन, बदनीयत और कुनीतियों वाली सरकार से मुक्ति दिलाएगा।