राजनांदगांव। कोरोनावायरस संक्रमण का बहुत से लोगों ने सिर्फ नाम ही सुना है, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो इसके बेहद कड़वे अनुभव से रू-ब-रू हुए हैं। इसकी भयावहता बयां कर पाना भी मुश्किल होता है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एक 32 सदस्यों का संयुक्त परिवार इस बीमारी की चपेट में आ गया। परिवार के मुखिया से लेकर छोटे बच्चे तक संक्रमित हो गए। इसके बाद परिवार में दो लोगों की मौत हो गई। इस परिवार ने कोरोना संक्रमण के दौर में एक बड़ी त्रासदी झेली है। अभी भी परिवार के कई सदस्यों का कोविड अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस परिवार ने इस दौर में उपचार के नाम पर उपेक्षाएं भी झेली हैं। इसके साथ ही इस परिवार की कहानी में यह बात भी दिखाई देती है कि विशेष कोविड अस्पतालों में लोगों के उपचार के नाम पर किस तरह की लापरवाहियां बरती जा रही हैं।
शहर के सेठी नगर में रहने वाले चार भाइयों का परिवार आजू- बाजू ही रहता है। दो माह पहले बड़े भाई को अचानक बुखार आया। एक निजी डॉक्टर ने इसे वायरल फीवर बताया। दो दिनों के इलाज के बाद भी राहत नहीं मिली और मर्ज बढ़ गया। इसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया, जहां कोरोना जांच के नाम पर लापरवाही बरती गई। सैंपल लेने के नाम पर मरीज को घंटों बैठाए रखा गया और कोरोना संदिग्ध कहकर मेडिकल स्टाफ उनके नजदीक आने को भी तैयार नहीं था। इसी बीच मरीज की हालत बिगड़ी और फिर जल्दबाजी में उन्हें कोविड अस्पताल में दाखिल कराया गया।
यहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। परिवार के कमाऊ सदस्य की मौत से परिवार सदमे में आ गया। इसी बीच उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। चार भाइयों का यह परिवार आजू-बाजू ही रहता है और दिन भर परिवार के सभी सदस्यों का एक-दूसरे से मिलना- जुलना होता है। लिहाजा परिवार के 32 सदस्यों की कोरोना जांच की गई, जिसमें मृतक के पिता और पत्नी सहित परिवार के छोटे बच्चे तक कोरोना संक्रमित पाए गए। सभी को कोविड अस्पताल में दाखिल कराया गया। यहां उपचार के दौरान बुजुर्ग पिता ने भी दम तोड़ दिया।
हाल ही में मृतक की पत्नी अस्पताल से ठीक होकर वापस लौटी हैं। उन्होंने बताया कि बीमारी की हालत में वे लगातार पति के साथ थीं। इसके बाद उनकी अचानक मौत हुई। इस दौरान उनके शव के दर्शन तक वह नहीं कर सकीं। जब वे अस्पताल में भर्ती थीं उसी दौरान पति की मौत हो गई और उनके पीछे ही पति का अंतिम संस्कार कर दिया गया। परिवार के कई सदस्य अब भी अस्पताल में उपचाररत हैं। इस परिवार ने कोरोना के दौर में एक बड़ी त्रासदी देखी है और इस महामारी के साथ अब भी इनका संघर्ष जारी है।