सोनहत- गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में भ्रष्टाचार चरम पर है यहां किसी भी निर्माण कार्य के लिए संरक्षित क्षेत्र होने के बावजूद अधिकारी कर्मचारी जमकर यहां की खनिज संपदा का दोहन करते हैं और लाखों के बिल लगाकर अपनी जेब भरते हैं यह तो चल ही रहा है लेकिन इनके द्वारा कई काम सिर्फ कागजों में करके राशि का बंदरबांट आपस में कर लिया जाता है ताजा मामला परिक्षेत्र रिहंद का है जहां के छत रंग सर्किल में छतरंग से सुकतारा मार्ग पर चरखा नाला में 17 लाख की रपटा पुलिया लगभग 2 वर्ष पूर्व की स्वीकृति हुई थी लेकिन मौके पर 1 इंच भी निर्माण नहीं हुआ तत्कालीन रेंजर ने लगभग ₹1000000 निर्माण के नाम पर अग्रिम निकालकर उच्चाधिकारियों के से मिलीभगत कर आपस में बांट लिया और निर्माण को कागजों में ही प्रगतिशील बताया गया जब दूसरे रेंजर ने चार्ज संभाला तो उनके द्वारा उक्त निर्माण कार्य करने से मना कर दिया गया क्योंकि कार्य में ₹1000000 पहले ही निकाले जा चुके से लेकिन सूत्रों से पता चला है की बची हुई राशि का भी बंदरबांट कर लिया गया है यह तो सिर्फ एक उदाहरण है ऐसे कई निर्माण कार्य अधिकारियों के द्वारा कागजों में कंप्लीट कर पूरी राशि निकाल ली जाती है वर्तमान में नए संचालक महोदय ने चार्ज संभाला है अब देखते हैं उनके द्वारा ऐसे फर्जी कार्यों पर रोक लगाकर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाती है अथवा उन्हें और भी छूट दे दी जाएगी ताकि वे खुलकर भ्रष्टाचार कर सके
✍ 17 लाख की रपटा पुलिया चली गई अधिकारियों की जेब में……..
अधिकारी कर्मचारी जमकर यहां की खनिज संपदा का दोहन करते हैं और लाखों के बिल लगाकर अपनी जेब भरते हैं