अंबिकापुर। देश-विदेश की खबरों के लिए आकाशवाणी द्वारा प्रसारित समाचार तो हम सुनते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य है, जहां आकाशवाणी के जरिए हाथियों के विचरण क्षेत्र की जानकारी दी जाती है। ‘हमर हाथी, हमर गोठ ‘ के नाम से आकाशवाणी अंबिकापुर से दो वर्ष पूर्व कार्यक्रम प्रसारण की शुरूआत की गई थी। अब राज्य के सभी आकाशवाणी केंद्र बिलासपुर, रायगढ़ व रायपुर केंद्र से इस कार्यक्रम का प्रसारण होता है।
रेडियो कालर से हाथियों के लोकेशन और फील्ड से आने वाली जानकारी के आधार पर हाथियों के विचरण क्षेत्र और उनके संभावित मूवमेंट से अवगत कराया जाता है। जिस दौर में ‘हमर हाथी, हमर गोठ’ कार्यक्रम प्रसारण की शुरूआत की गई थी, उस दौर में उत्तरी छत्तीसगढ़ में हाथी लगातार जानमाल को नुकसान पहुंचा रहे थे। सेटेलाइट रेडियो कालर लगने के बाद हाथियों के स्पष्ट लोकेशन की जानकारी मिल जाया करती थी।
वर्तमान में उत्तरी छत्तीसगढ़ में विचरण कर रहे सिर्फ एक हाथी पर सेटेलाइट रेडियो कालर लगी हुई है, इसलिए शेष हाथियों के लोकेशन के लिए पंचायत प्रतिनिधियों, हाथी मित्र दल के सदस्यों और वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों से जानकारी एकत्रित की जाती है। सटीक जानकारी कई बार नहीं मिलने के कारण हाथियों से जानमाल की सुरक्षा का सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ पाता। फिर भी यह कार्यक्रम हाथियों से बचाव के लिए बड़े क्षेत्र में लोगों को सतर्क करने में कारगर साबित हुआ है।
छत्तीसगढ़ के दूरस्थ व जंगल, पहाड़ से घिरे इलाकों में संचार सुविधा के नाम पर रेडियो ही एकमात्र सहारा है। बिजली बाधा के कारण दूसरे संचार साधनों का गांव वाले इस्तेमाल नहीं कर पाते, इसलिए हाथियों से बचाव का यह उपाय कारगर हुआ है।
आकाशवाणी से कार्यक्रम प्रसारण के बाद उसे हाथी प्रभावित क्षेत्र के वाट्सएप गु्रप में भी प्रसारित किया जाता है। जो लोग आकाशवाणी से कार्यक्रम नहीं सुन पाते वे व्हाट्सएप ग्रुप से रिकार्डिंग सुन लेते हैं।रायगढ़ व बिलासपुर में एफएम रेडियो में भी यह सुविधा है, इसलिए सफर में भी सुना जा सकता है।