रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार का अनुमान है कि मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य में लौटे लगभग 40,000 प्रवासी श्रमिकों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। राज्य के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि आंकड़ों की कमी चिंता का विषय है, क्योंकि इससे संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है और यहां तक कि वायरस के सामुदायिक प्रसार का भी खतरा हो सकता है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन सभी प्रवासी कामगारों को खोजने और पंजीकृत करने की चुनौती इस समय पेश आ रही है, जो अन्य राज्यों से लॉकडाउन के शुरुआती दौर में अनौपचारिक साधनों या पैदल चलकर ही वापस लौटे हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों की जानकारी प्रशासन के पास नहीं है। अनुमान के मुताबिक लगभग 40,000 ऐसे लोगों का पता लगाया जाना बाकी है।
स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक और कोविड -19 के छत्तीसगढ़ कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के डेटा प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे लोगों और को सामुदायिक निगरानी के जरिए खोजना बेहद जरूरी है। इनका जल्द पता लगाना होगा, अन्यथा इनके माध्यम से यहां कोरोनावायरस संक्रमण के सामुदायिक प्रसार की स्थिति पैदा हो सकती है।
उनके अनुसार, पिछले महीने तक सरकार के पास लगभग 60,000 श्रमिकों के आंकड़े नहीं थे जो वापस आए थे। विभाग ने बाद में सामुदायिक निगरानी के माध्यम से उनमें से करीब 20,000 लोगों का पता लगाया। इनमें से कई लोग संक्रमित पाए गए और उन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उनके संपर्कों का भी परीक्षण किया गया। यह संख्या काफी हद तक उन प्रवासी श्रमिकों की है, जो आने-जाने के विकल्पों की कमी के कारण लॉकडाउन के दौरान पैदल या अन्य अनौपचारिक साधनों से अपने घरों को लौटे हैं। शुरुआत में, ऐसे प्रवासियों की अनुमानित संख्या 50,000-60,000 से अधिक रही होगी, लेकिन अब इसमें कमी आई है।
त्रिपाठी ने कहा कि विभाग द्वारा निरंतर सामुदायिक निगरानी के कारण ही ऐसे व्यक्तियों की पहचान संभव हो पाई। यह अभ्यास वर्तमान में पूरे राज्य में स्थानीय प्रशासन की सहायता से चल रहा है। उम्मीद है, यह इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इन श्रमिकों ने लौटते समय “शॉर्ट कट्स” को अपनाया और उनमें से अधिकांश उन रास्तों से होते हुए अपने गांवों तक पहुंचे, जिनका उपयोग सामान्य मार्ग में नहीं किया जाता है, जिनमें उबड़-खाबड़ सड़कें, जंगल, नदियां, नालियां आदि शामिल हैं।
गांवों में आने के बाद भी, इन लोगों ने किसी को भी उनके वापस आने की जानकारी नहीं दी, न ही अन्य ग्रामीणों ने उनके बारे में प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया। पिछले महीने, कबीरधाम जिले के एक गांव में संक्रमण का शिकार एक प्रवासी छुपा हुआ पाया गया था। उसका पता सामुदायिक निगरानी के जरिए मिला। जांच में उसके संक्रमित पाए जाने के साथ ही उसके संपर्क में रह रहे तीन अन्य लोगों को भी संक्रमित पाया गया था।
बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ प्रमोद महाजन ने कहा कि हजारों कर्मचारी जो अन्य राज्यों से लौटे हैं, वे स्थानीय प्रशासन की जानकारी के बिना अपने गांवों में रह रहे हैं। ऐसे लोगों की वास्तविक संख्या हमारे वर्तमान अनुमानों से बहुत अधिक हो सकती है। बिलासपुर जिला प्रशासन राज्य में सामुदायिक निगरानी शुरू करने वाला पहला जिला था। हमने यहां सामुदायिक निगरानी के जरिए प्रसार की संभावना को भी रोक दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोविड -19 की स्थिति इस महीने के अंत तक ही स्पष्ट हो सकती है क्योंकि पिछले 10-15 दिनों में मामलों में वृद्धि हुई है। डॉ त्रिपाठी के अनुसार, आधे से भी कम गैर-कामगार प्रवासियों को राज्य में लौटाया गया है जिनका अब तक कोविड परीक्षण हुआ है।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि राज्य में कोरोना संक्रमण के पैमाने के बारे में वास्तविक तस्वीर जून के अंत तक स्पष्ट हो जाएगी। तब तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि सामुदायिक प्रसार की स्थिति है या नहीं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक सामुदायिक प्रसारण का कोई संकेत नहीं है। रोगियों के संक्रमण के श्रोत को पता लगाने के साथ-साथ संपर्क और सामुदायिक निगरानी के चलते सामुदायिक प्रसारण की संभावना को बेहद कम कर दिया गया है।