जनकपुर (कोरिया) जिले का एक गांव ऐसा भी, जहाँ सुविधाओं के लिए मोहताज़ हैं ग्रामवासी*
कोरिया जिले के विकासखंड भरतपुर अंतर्गत स्थित दूरस्थ ग्राम सीतापुर मूलभूत सुविधाओं का मोहताज हो गया है। ग्रामवासियों को सड़क, बिजली, चिकित्सा के अलावा स्वच्छ पेयजल तक उपलब्ध नही है। वैसे उक्त गांव में प्रशासन स्तर पर सोलर संचालित ट्यूबवेल लगाया गया है, लेकिन हर वक़्त ग्रामीणों को इसका लाभ नही मिल पाता है। लोगों की प्यास बुझाने के लिए न तो यहां प्याऊ है और न ही कोई जनप्रतिनिधियों यहां पर पानी की समस्या को लेकर जागरूक हैं। यह स्थान कोरिया जिले के भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। जिसे सीतापुर के नाम से जाना जाता है। यहां प्रत्येक दिन परिवार का हर सदस्य प्यास बुझाने के लिए सुबह से शाम तक जद्दोजहत करता है।
*पानी के लिए पथरीले घाट और जंगली रास्तों का मुश्किल सफर*
बारिश के मौसम के अलावा यहां साल में 6 से 7 माह पानी की अत्यधिक समस्या रहती है। जिससे निजात पाने के लिए इस ग्राम का प्रत्येक सदस्य रोजाना घाट के पथरीले व जंगली रास्तों से होकर सफर करता है। इस सफर में बच्चे, बूढ़े महिलायें शामिल होते हैं जो कंधे और सिर पर पानी का पात्र लिए दुर्गम यात्रा करते हैं। इस ग्राम में लगभग 20 परिवार निवासरत हैं जिन्हें पेयजल के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। यहां प्रशासन द्वारा एक सौर ऊर्जा हैण्डपम्प लगाया गया था। इससे थोड़ी राहत मिली थी लेकिन वह भी समय-समय पर खराब ही होता रहता है।
चर्चा के दौरान गांव वालों ने बताया कि इस ग्राम में जहां पेयजल संकट है वहीं राशन के लिए भी सरकारी उचित मूल्य की दुकान जाने में लगभग 3 किमी का जंगल के रास्ते का सफर तय करना पड़ता है, तब कहीं जाकर घरों में चूल्हा जलता पाता है। ग्रामीणों ने बताया की पेयजल के साथ ही इस ग्राम में दो वक्त के रोटी की समस्या भी यहां कई वर्षों से व्याप्त है। इसके अलावा ऐसे ग्राम हैं जहां के ग्रमीण ग्राम पंचायत देवशील राशन लेने के लिए पहुंचते हैं। इस समस्या से प्रभावित ग्राम चिखली व सीतापुर हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यहां पर जनप्रतिनिधियों का दौरा रहता है और बड़े-बड़े वायदे भी किये
*जाते हैं लेकिन किसी के भी द्वारा उन वायदों को जमीनी स्तर पर अमल नही किया गया।*
*अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से लगाई गुहार, निराशा मिली हर बार*
विकासखंड भरतपुर के ग्राम पंचायत देवसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सीतापुर की दूरी जिला मुख्यालय से 160 किमी है। यहां का प्रत्येक ग्रामीण पानी के लिए लगभग लंबी दूरी तय करने को मजबूर हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां पर निवास करने वाले लोग अधिक्तर आदिवासी समुदाय है, जो विगत कई वर्षों पीने के पानी की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन ग्रामीणों ने पेयजल की समस्या को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के आगे गुहार लगाई पर इन्हें सिर्फ़ निराशा ही हाथ लगी।