कोरिया जिले मे भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, जहाँ विभागीय अधिकारी अपने पदों का दुरुपयोग कर रहे है। जन शिकायतों की अनदेखी कर मामले मे असत्य जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जा रहा है।
यहाँ अवैध खनन व गैर पंजीकृत वाहनों से परिवहन करने वालो को किस तरह प्रशासन के भ्रष्ट नुमाइंदो ने कागजी संरक्षण दिया है। नदी किनारे बसे लगभग दर्जन भर गावों मे रेत खनन बेखौफ हो रहा है। खनिज विभाग ने ग्राम पंचायतों मे रेत खदाने घोषित की है। यहाॅ खनन नियमों की अनदेखी कर बगैर सीमा तय किए मनमाने ढंग से खनन हो रहा है। पंचायतों के नाम पर खदानों मे बड़े-बडे़ ठेकेदार काबिज है। ये जेसीबी व पोकलेन से दिन-रात खनन कर हैवी वाहनो से रेत का ओवरलोड परिवहन कर शहरी व शासकीय निर्माण स्थलों पर भेज रहे है। यहाॅ तक की एक अभिवहन पास (राॅयल्टी पर्ची) पर कई दर्जन ट्रक/ट्रेक्टर पास हो रहे है। ग्राम विकास समिति के नाम पर खदान तक रास्ता देने के लिए पंचायतो के दबंग अवैध वसूली कर रहे है। नियत जगह से रेत खनन का पट्टा पाने के बाद कही भी किया जा रहा है। रेत खदानो मे सीमा स्तंभों का अभाव है। रेत के नाम पर जेसीबी से नदी के तटबंधो को काट देने से प्राकृतिक नुकसान हो रहा है। हालांकि इसकी ज्यादा शिकायत होने पर खनिज व राजस्व विभाग के आला अधिकारी दो-चार रेत के ट्रैक्टर, ट्रको आदि वाहनो पर अवैध परिवहन की कार्यवाही तो करते है, लेकिन अवैध खनन के मुद्दे पर कार्यवाही न करना विभागीय सहभागिता को उजागर करता है।
प्रतिदिन शहर से रेत से भरे ट्रैक्टर, ट्रक आदि वाहनो का बिना अभिवहन पास (राॅयल्टी पर्ची) के क्षेत्रो मे परिवहन किया जा रहा है इसके बाद भी जिला प्रशासन की खामोसी चिंता का विषय है। अवैध खनन पर राजस्व विभाग जहां खनिज विभाग का मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ता है,तो खनिज विभाग इसे राजस्व विभाग का काम बताकर अपना दामन पाक-साफ बताता है जबकि एन0जी0टी से अवैध खनन पर प्रभावी कार्यवाही व नियंत्रण बनाए रखने के लिए खनिज, राजस्व व वन विभाग को अधिकार प्राप्त है।
पटवारी, राजस्व निरीक्षक अपने प्रभार क्षेत्र के भीतर खनिज का अवैध खनन मिलने पर प्रतिवेदन निर्धारित प्रपत्र मे अपने अनुविभागीय (राजस्व)को प्रस्तुत करेगा एसडीएम इस प्रकरण को मद बी(12)मे दर्ज कर जिलाधीश कार्यालय भेजेगा। उसी प्रकार अवैध परिवहन के मामले मेे गौण खनिज नियम 1996 के नियम 53(5) के तहत कार्यवाही की जाती है। कई बार परिवहन विभाग मे कभी ओवर लोड तो कभी अवैध परिवहन की शिकायत होती है ऐसे मे विभागीय अधिकारियो को बचाने के लिए शिकायतकर्ता की शिकायत को ही निराधार बता दिया जाता है। रेत, मुरुम,पत्थर के अवैध खनन व परिवहन पर प्रभावी अंकुश लग सकता है बशर्ते खनिज,राजस्व व परिवहन विभाग निष्ठापूर्वक कार्य करे। खनन के पूर्व बनाए गए नक्शों स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन के बाद खनिज विभाग की ओर से जारी की गई अभिवहन पास (राॅयल्टी पर्ची) मे प्राप्त खनन की कुल मात्रा एवं वर्तमान मे संबंधित खदान स्थल के सीमांकन के बाद खनन की मात्रा का हिसाब किया जाए, तो करोडो रुपये की राॅयल्टी चोरी का भंडाफोड़ हो सकता है। फर्जी रसीद के मामले मे अनेक पंचायतों के सरपंच, पंच, दबंग ठेकेदार सभी पर आपराधिक व फर्जीवाड़े के प्रकरण दर्ज हो सकते है परन्तु विभागीय सहभागिता के चलते जाँच फाईले दब जाती है।
जिले मे हुए षिकायतों के पन्नो को पलटा जाए,तो जाँच के खेल मे किए गए कागजी फर्जीवाड़े के साथ अवैध खनन पर प्रशासनिक संरक्षण के कई दस्तावेज आम जनता के हाथों आ जाएंगे । जब कोई प्रशासनिक अधिकारी दबंग ठेकेदारों, माफियाओ पर कार्यवाही करने की कोशिश करता है तो उसे इनाम स्वरुप स्थानान्तरण मिल जाता है। जिसका सीधा उदाहरण देखा जा सकता है।
किसी सूचना के माध्यम से अवैध उत्खन्न की शिकायत अगर अधिकारीयों तक पहुचाई जाती भी है तो अधिकारी कार्यवाही करने से बचते नजर आते हैं आखिर एैसा क्यों करते है जो एक सोचनिय पहलु तथा चिंता का विषय है
चरनजीत सिंह सलूजा मनेन्द्रगढ़..