कोरिया जिला मुख्यालय में प्रशासन के समस्त अफसर एवं अधिकारी सोशल डिस्टेसिंग एवं मास्क का उपयोग न करते हुए बैकुन्ठपुर झुमका वोट क्लब की ओर सैर सपाटा करते हुए दिखे प्रशासन ही नियम का पालन नही कर रही है तो आम जनता को नियम का पाठ क्यों पठाया जाता है कोरोना संक्रमण छत्तीसगढ में तेजी से फैल रहा है चाहे कोई अफसर डाॅक्टर या स्वास्थ्य कर्मी या अन्य कोई भी इससे अछूता नही है नेता हो या अधिकारी सब इसकी चपेट में आने लगे है इस बीमारी से कई मौतें हो चुकी है और हो रही है छत्तीसगढ मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक कसावट के लिए कई अफसर एवं अधिकारियों को ईधर उधर भी किया है कोरोना महामारी से निपटने के लिए दायित्वों का निर्वाह एवं अन्य हालात से निपटने के लिए ये कसावट लाई गई पर ये तस्वीर बयां कर रही है कि आला अधिकारियों ने लापरवाही करके अपने बनाए हुए नियमों की स्वयं धज्जियां उडाई एवं जिले का मुखिया ही अपने आला अधिकारियों के साथ सैरसपाटा करते दिखे तो इनके द्वारा बनाई गई धारा 144 कहां थी? बस क्या ये सिर्फ आम जनता के लिए है ?कोरोना काल में एैसी ही तस्वीरें कांग्रेस नेताओं व विधायक की देखने को मिली जो कि सोशल डिस्टेसिंग जैसे नियमों की धज्जियां उडाई गई इसी तरह एैसी ही तस्वीर देखने को मिली कि एक नाव में जिलें के मुखिया सहित 15 आला अधिकारियों का समस्त स्टाफ था कई ने तो मास्क ही नही लगाया और सोशल डिस्टेसिंग का तो ख्याल ही नही था और सभी ने एक साथ बैठकर चाय,नाशते का आनंद लिया जबकि सरकार द्वारा नियम है कि एक बस में 15, 16 के लगभग की सरकार द्वारा सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रखते हुए अनुमति प्राप्त है पर सोचने वाली बात है कि एक छोटी सी नाव में प्रशासन व सभी स्टाफ सोशल डिस्टेसिंग को भूल गए। पर आम जनता इस हालात में मिले तों आम जनता के उपर कितनी धाराएं लगाा दी जाएगी। जिससे आम जनता न्यायालय के चक्कर लगाती रहे पेशी देने के लिए हाजिरी लगाती रहे आम जनता कोरोना एवं रोजगार व मजदूरी से वैसे भी परेशान है दूसरा प्रशासन से। सरकार इस पर ध्यान दें।
✍ प्रशासन नियमों को स्वयं ही तोडने मे लगी है फिर जनता से कैसी उम्मीद……..
प्रशासन ही नियम का पालन नही कर रही है तो आम जनता को नियम का पाठ क्यों ?