बीजापुर। कोरोना वायरस के डर ने लोगों को अपनों से ही दूरियां बनाने को मजबूर कर दिया है। लोग घरों में ही बंद हैं, रिश्तेदारों के घर जाना तो दूर की बात है। कोरोना की दहशत की ऐसी ही बानगी भोपालपट्नम इलाके में देखने को मिल रही है, जहां बसने वाले अधिकांश परिवारों की रिश्तेदारी तेलंगाना और महाराष्ट्र के सरहदी गांवों में है, जो इंद्रावती और गोदावरी नदी के पार हैं।
भोपालपट्नम ब्लाक के अधिकतर गांवों में बसने वाले परिवारों की रिश्तेदारियां सीमावर्ती दोनों ही राज्य के सीमा से सटे गांवों में हैं, लेकिन सीमाएं सील होने और वाहनों के पहिए थमने से रिश्तेदारों के घर आने-जाने का सिलसिला रुक गया है।
भोपालपट्नम और मद्देड़ इलाके की आबादी में 30 से 40 फीसदी परिवारों की रिश्तेदारियां इन राज्यों में हैं। इससे यहां तेलगू और मराठी भाषा का चलन भी है। तिमेड़ गांव के समीप बीजापुर को महाराष्ट्र से जोड़ने इंद्रावती पर एक उच्चस्तर पुल का निर्माण बीते वर्ष ही पूरा हुआ था, जिसके बाद छत्तीसगढ़ में बस रहे परिवारों को महाराष्ट्र में रह रहे अपने रिश्तेदारों के घर आना-जाना सुलभ हो गया था।
ठीक इसी तरह तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए भी तारलागुड़ा मार्ग खुला हुआ है, लेकिन सड़क और पुल की सुविधा होने के बाद भी कोरोना ने अपनों से जुड़ने की चाहत में खलल डाल रखी है। भोपालपट्नम के रहने वाले चेतन कापेवार बताते हैं कि उनके रिश्तेदार महाराष्ट्र के चंद्रपुर में रहते हैं। पारिवारिक कार्यक्रम, मेल मिलाप के लिए सरहद पार आना- जाना लगा रहता है।
इलाज के लिए भी भोपालपट्नम क्षेत्र से लोग इन राज्यों के शहरों की तरफ रूख करते हैं। गर्मियों में शादियों का सीजन भी होता है। मार्च से मई के बीच बड़ी संख्या में शादियां होती है। सरहद पार से आकर लोग यहां की बेटियां ले जाने के साथ दामाद भी चुनते हैं। मगर कोरोना के खौफ से शादियों पर ग्रहण लगा हुआ है।
कई शादियों की तारीख टल गई है। मोबाइल पर बात हो रही है। अपनों को देखने वीडियो कॉल जरिया बना हुआ है। विदित हो कि महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा हुआ है। यह देख तिमेड़ पुल पर अस्थाई नाका डालकर वाहनों की आवाजाही को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। पुल पार गढ़चिरौली, चंद्रपुर जिले की सीमा लगती है मगर पुल पर बेरिकेटिंग के बाद अब कोई भी वाहन सीमा पार जा सकता है न आ सकता है।