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ब्रीडिंग सेंटर में रखा जाएगा पहाड़ी मैना को…

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इंसान की तरह आवाज निकालने वाले राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना को बचाने के लिए आशा की किरण नजर आ रही है। पहाड़ी मैना को बचाने के लिए वन विभाग की टीम जंगल में जाकर घोसलों की गिनती कर उसे संरक्षित करने का काम करेगी। वहीं दूसरी तरफ वन विभाग ने पहाड़ी मैना के लिए कांगेर वैली नेशनल पार्क में ब्रीडिंग सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। ब्रीडिंग सेंटर में पहाड़ी मैना को रखा जाएगा। ब्रीडिंग सेंटर में संख्या बढ़ने के बाद धीरे-धीरे इन्हें जंगल में छाेडा जाएगा। वन विभाग की टीम ने इसका प्रोजेक्ट तैयार करके शासन को सौंप दिया है। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। वन विभाग के अकिारियों ने बताया कि शासन से अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा है, अनुमति मिलने पर काम शुरू कर दिया जाएगा। ज्ञात हो कि पहाड़ी मैना इंसानों के आवाज की हू-ब-हू नकल कर लेती है। आम तौर पर तोते को इंसानों की नकल करते देखा गया है, लेकिन मैना उससे ज्यादा साफ और स्पष्ट तौर पर आवाज की नकल कर लेती है। इसी विशेषता के कारण शिकारी और तस्कर उन्हें पकड़कर विदेशों में निर्यात करते थे। आदिवासी और ग्रामीण अंचलों के लोग थोड़े से पैसों के लिए उन्हें पकड़कर शिकारियों को बेच देते थे।

इससे इनकी संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। इसके लिए वन विभाग की टीम ग्रामीण अंचलों में जागरूकता का प्रोग्राम तथा स्कूलों में वर्कशॉप कर पहाड़ी मैना की खासियत के बारे में लोगों को जानकारी देकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि स्टेट फारेस्ट रिसर्च सेंटर ने वर्ष 2018 में कांगेर वैली नेशनल पार्क में रिसर्च किया था। इस दौरान कुल 30 से 40 पहाड़ी मैना के होने की बात सामने आई थी। वहीं पक्षी विशेषज्ञ ने बताया कि वर्तमान में पूरे प्रदेश बस्तर, नरायणपुर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा आदि जगहों में करीब तीन सौ पहाड़ी मैना हैं। वन विभाग के अकिारी ने बताया कि पहाड़ी मैना के लिए प्रदेश में पहली बार बस्तर के कांगेर वैली में ब्रीडिंग सेंटर बनाने की योजना बनाई जा रही है। थाईलैंड की तर्ज पर इन्क्लोजर बनाकर उसमें पहाड़ी मैना को रखा जाएगा। संख्या बढ़ने पर उन्हें जंगल में छाेडने का काम किया जाएगा। पहाड़ी मैना पीपल, बरगद, जड़ी, पलास, जामुन आदि पेड़ों पर अपना बसेरा बनाती है, इसलिए वन क्षेत्रों में इन पेड़ों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। यदि इन पेड़ों की उपलब्ता रहेगी तो पहाड़ी मैना विलुप्त होने से बच जाएगी।

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