बिलासपुर. साहस का परिचय देते हुए दिव्यांग तैराक ममता ने राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 35 गोल्ड समेत कई मेडल जीतकर शहर का मान बढ़ाया था। वह पिछले एक नवंबर से अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती थी और उसी जीवटता के साथ मौत से संघर्ष करती रही। आखिरकार एक सप्ताह बाद आठ नवंबर शुक्रवार को वह जिंदगी की जंग हार गई। ममता ने अपनी दिव्यंगता को हराकर राष्ट्रीय स्पर्धाओं में कई मेडल जीते, लेकिन अपनी बीमारी की वजह से वह लाचार रही। शहर का बढ़ाने वाली बेटी दिव्यांग राष्ट्रीय तैराक ममता मिश्रा एक निजी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही थी।
इसमें खेल संघ के साथ ही कई सामाजिक संस्थाओं के साथ ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर शहर विधायक तक ने सुध ली और मदद के लिए आगे आए। लेकिन, बीमारी का असर उसके मस्तिष्क समेत शरीर के अन्य अंगों पर भी होने लगा था। ममता के पिता ने बताया कि शुक्रवार की सुबह ममता ने लंबी बेहोशी के बाद आंखें खोली। इससे हमें उसके जल्द ही स्वस्थ होने की उम्मीद जगी। देर रात्रि अचानक से उसका स्वास्थ्य बेहद खराब हो गया और मध्य रात्रि उसने अंतिम सांस ली। उसके पिता ने बताया कि हाल ही में होने वाली राष्ट्रीय तैराकी स्पर्धा को लेकर उसने कई सपने संजोए थे, लेकिन वे सब अधूरे रह गए।