नगरी निकायों को घरों से निकलने वाले गंदा पानी (सीवेज) का शत-प्रतिशत उपचार (ट्रीटमेंट) करना होगा। नगरीय प्रशासन विभाग ने राज्य के सभी शहरी निकायों को इस संबंध में निर्देश जारी किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले का हवाला देते हुए विभाग ने बताया कि सीवेज का शत प्रतिशत उपचार नहीं होने की स्थिति में एनजीटी ने राज्यों पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों के अनुसार जल प्रदूषण को लेकर पर्यावरण सुरक्षा समिति ने एनजीटी में एक केस फाइल किया था। इस मामले में एनटीजी ने 28 अगस्त को आदेश जारी किया है। इसमें शहरी क्षेत्रों में गंदे और प्रदूषित पानी को नदियों, नालों और तालाब आदि में डालने से पहले उसका शत प्रतिशत उपचार करने का निर्देश दिया है।
अफसरों के अनुसार खास्र्न समेत कुछ और नदियों के जल प्रदूषण को लेकर पहले ही मामला एनजीटी में है। इसी वजह से निकायों से एनटीजी के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है। एनजीटी ने ऐसा नहीं होने पर एक अप्रैल 2020 से राज्यों से क्षतिपूर्ति वसूलने का आदेश दिया है। यहां यह बताना भी लाजिमी होगा कि मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन को लेकर स्वास्थ्य विभाग को पहले ही अल्टीमेटम जारी किया जा चुका है। एनजीटी के निर्देश पर बनी जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय समिति ने जुलाई में विभाग को एक्शन प्लान बनाकर तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। व्यवस्था ठीक नहीं होने पर हर महीने एक करोड़ स्र्पये जुर्माना की चेतावनी भी दी गई है।