अयोध्या में राम जन्मभूमि.बाबरी मस्जिद विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच अपना फैसला सुना रही है। अयोध्या मामले में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले अयोध्या समेत देश भर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। साथ ही यूपी, दिल्ली, बिहार, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। फैसले के बाद शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है और सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर देश के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है।
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि विवादित ढांचे की जमीन हिन्दुओं को दी जाएगी, वहीं मस्जिद के लिए दूसरी जगह सरकार उपयुक्त जमीन देगी। .सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने को कहा। साथ ही मुसमलामानों को अयोध्या में उपयुक्त स्थान पर पांच एकड़ का प्लॉट देने का आदेश।
.सुप्रीम कोर्ट बोला- सरकार मुस्लिम को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन उपयुक्त स्थान पर देगी
.अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का केस खारिज किया
.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम को मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर प्लॉट दिया जाय।
.एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि गिराए गए ढांचे के नीचे मंदिर था : न्यायालय।
.अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूत है कि बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्जा था, इस पर मुस्लिम का कब्जा नहीं था। लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ भी करते रहे। बाबर ने मस्जिद बनाई थी लेकिन वे कोई सबूत नहीं दे सके कि इस पर उनका कब्जा था और नमाज़ की जाती थी। जबकि यात्रियों के विवरण से पता चलता है कि हिन्दू यहां पूजा करते थे। 1857 में रेलिंग लगने के बाद सुन्नी बोर्ड यह नहीं बता सका कि ये मस्जिद समर्पित थी। 16 दिसंबर 1949 को आखिरी नमाज की गई।
.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हाईकोर्ट ने यह कहा कि दोनों पक्षों का कब्जा था’ गलत है उसके सामने बंटवारे का मुकदमा नहीं था। मुस्लिम ये नहीं बता सके कि अंदरुनी भाग में उनका एक्सक्लूसिव कब्जा था।
.न्यायालय ने कहा कि पुरातात्विक साक्ष्यों को महज राय बताना एएसआई के प्रति बहुत अन्याय होगा।
. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूत है कि बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्जा था, इस पर मुस्लिम का कब्जा नहीं था। लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ भी करते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यात्रियों के विवरण को सावधानी से देखने की जरूरत है। वहीं गजट ने इसके सबूतों की पुष्टि की है। हालांकि मालिकाना हक आस्था के आधार पर नहीं तय किया जा सकता।
. अयोध्या मामेल पर बोला सुप्रीम कोर्ट: हिन्दुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुआ था।
.अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट बोला- ASI की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष आया था कि यहां मंदिर था, इसके होने के सबूत हैं।
. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थल पर ईदगाह का मामला उठाना आफ्टर थॉट है जो मुस्लिम पक्ष द्वारा ए एस आई की रिपोर्ट के बाद उठाया गया।
.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम जन्मस्थान पर एएसआई की रिपोर्ट मान्य है।
.न्यायालय अब पूजा के अधिकार के लिये गोपाल सिंह विशारद के दावे पर फैसला सुना रहा है। न्यायालय ने कहा कि निर्मोही अखाड़े की याचिका कानूनी समय सीमा के दायरे में नहीं, न ही वह रखरखाव या राम लला के उपासक।
.न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार विवादित भूमि सरकारी है। . भाषा- अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ा जा रहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम संतुलन पर चलेंगे। किसी के पक्ष में नहीं जाएंगे।
.शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज, सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं।
.सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज की। शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे को लेकर था जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।
.अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले जमीन पर शिया सुन्नी के दावे पर होगा फैसला.
.अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिया मामले पर एक फैसला पढ़ने पर आधा घंटा लगेगा.
.चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अयोध्या मामले पर फैसला पढ़ रहे हैं।
.राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाने के लिये प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई में सभी पांच न्यायाधीश न्यायालय कक्ष में पहुंचे।
. मानें तो अयोध्या मामले पर एकमत से फैसला आएगा।
. अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया।
. अयोध्या मामले पर चार फैसले आने की उम्मीद है। चार सीलबंद लिफाफे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
. अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के लिए सभी जज सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं।
.सुप्रीम कोर्ट: सीजेआई दफ्तर के बाहर राम लला पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन आपस में बातीचीत करते हुए।
.अयोध्या मामला: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
.गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई। बैठक में एनएसए अजीत डोभाल, आईबी चीफ अरविंद कुमार और दूसरे बड़े अधिकारी हिस्सा लेंगे।
– नितिन गडकरी ने की अपील-केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अयोध्या मामले पर फैसले से पहले कहा कि हमें हमारे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। मैं सभी से अपील करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करें और शांति कायम रखें।
– सुप्रीम कोर्ट के बाहर सुरक्षा के सख्त इंतजाम
अयोध्या मामले पर फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट और उसके बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। साथ ही इलाके में धारा 144 भी लागू कर दी गई है।
– अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
अयोध्या में राम जन्मभूमि पुलिस थाने के पास सुरक्षा चाक चौबंद की गई। सुप्रीम कोर्ट आज सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुनाएगा।
– पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट की देशवासियों से यह अपील
पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार की देर शाम ट्वीट कर कहा कि अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला आएगा, वह किसी की हार-जीत नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “देश की न्यायपालिका के मान-सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए समाज के सभी पक्षों ने, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने, सभी पक्षकारों ने बीते दिनों सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे स्वागत योग्य हैं। कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है।”
-सीएम योगी आदित्यनाथ ने की शांति कायम रखने की अपील
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी से शांति व्यवस्था कायम रखने की अपील की है। उन्होंने अपील की है कि आने वाले फैसले को जीत-हार के साथ जोड़कर न देखा जाए।
– कई राज्यों ने स्कूल-कॉलेज किये बंद
अयोध्या मामले पर फैसले के मद्देनजर दिल्ली, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश जारी किया गया है।
– भड़काऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने कहा कि हिंसा या घृणा फैलाने वाले सोशल मीडिया पोस्ट और व्हाट्सएप मैसेज करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी गौतम बुध नगर, बृजेश नारायण सिंह ने कहा कि अगर सोशल मीडिया पर कोई ऐसा पोस्ट डालता है, जिससे कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, तो उसके खिलाफ गैंगेस्टर व रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी।
-फैसले से पहले छावनी में तब्दील हुई अयोध्या
रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से पहले अयोध्या छावनी में तब्दील हो गई है। जमीन से आसमान तक पुलिस निगरानी की व्यवस्था की गई है। शहर के हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। आसमान से ड्रोन कैमरे चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं। अयोध्या की सुरक्षा के प्रभारी एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय ने ‘भाषा’ को फोन पर विशेष बातचीत में बताया, ”अयोध्या में सुरक्षा के लिये 60 कंपनी पीएसी और अर्धसैनिक बल तैनात किए गये हैं। इसमें 15 कंपनी पीएसी, 15 कंपनी सीआरपीएफ और 10 कंपनी आरएएफ हाल में अयोध्या आयी है जबकि 20 कंपनी पीएसी पहले से ही यहां तैनात थी। इसके अलावा दूसरे जनपदों से आये सुरक्षाकर्मियों में 1500 सिपाही, 250 सब इंस्पेक्टर, 150 इंस्पेक्टर, 20 डिप्टी एसपी, 11 एडिशनल एसपी तथा दो एसपी तैनात किये गये हैं। इसके अलावा अयोध्या के विभिन्न थानों में तैनात सुरक्षा बल तो पहले से ही यहां पर है।
जानें अयोध्या मामले में 40 दिन की सुनवाई में क्या-क्या हुआ:
40वें दिन की सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में प्रतिदिन हो रही सुनवाई को बुधवार शाम को पूरी कर देगा। साथ ही न्यायालय ने कहा, ”अब बहुत हो चुका।”
39वें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले की सुनवाई के 39वें दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बुधवार को इस मामले की सुनवाई का आखिरी दिन होगा। राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आज 39वां दिन है।
38वें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले की सुनवाई के 38वें दिन उच्चतम न्यायालय में सोमवार को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दु पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किये जा रहे है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष 38वें दिन की सुनवाई शुरू होने पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने यह टिप्पणी की।
37वें दिन की सुनवाई
37वें दिन की जिरह के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यदि मस्जिद के लिए बाबर द्वारा इमदाद देने के सबूत नहीं हैं, तो सबूत राम मंदिर के दावेदारों के पास भी नहीं है, सिवाय कहानियों के। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष दलील दी, ‘उस दौर में इसका कोई सबूत हमारे पास नहीं है, लेकिन सबूत मंदिर के दावेदारों के पास भी नहीं है,
36वें दिन की सुनवाई
उच्चतम न्यायालय में जन्मभूमि विवाद पर गुरुवार को 36वें दिन की सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने रामजन्मस्थान पुनरोद्धार समिति को नया तथ्य रखने से रोक दिया। भरोसा रखिए, हम ऐसा फैसला देंगे जिसे हमें देने की जरूरत है।
35वें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले में सुनवाई के 35वें दिन सुप्रीम कोर्ट यानी उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को रामजन्मभूमि विवाद पर सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने प्रत्युत्तर में दलीलें शुरू कीं। उन्होंने पुरातात्विक खोज में मिली दीवार (नंबर 18) के मंदिर नहीं, ईदगाह की होने की मुस्लिम पक्ष की दलील खारिज कर दी।
34वें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले में 34वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार के वकील ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं।
33वें दिन की सुनवाई
33वें दिन मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील रखीं गईं। वकील ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उसे महज एक विचार बताते हुए कहा कि इसके आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता।
32वें दिन की सुनवाई
राम जन्मभूमि विवाद मामले में 32वें दिन मुस्लिम पक्ष कि ओर से भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट पर उठाए गए सवालों पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालत विशेषज्ञों के निष्कर्ष पर कोई राय नहीं रख सकती। मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोब्डे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर की पीठ के समक्ष दलील दी कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकता है।
31वें दिन की सुनवाई
अयोध्या में खुदाई के बाद हिंदू मंदिरों के प्रमाण होने की संबंधी पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट पर सवाल उठाने पर उच्चतम न्यायालय ने सुन्नी बोर्ड को फटकारा और कहा वह इस रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठा सकते। उन्हें ट्रायल कोर्ट में सवाल उठाने चाहिए थे तब उठाए नहीं, अब उन्हें अपीलीय अदालत में ऐसा नहीं करने दिया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की वकील मीनाक्षी अरोड़ा से कहा कि एएसआई की रिपोर्ट और उसके निष्कर्षों पर सवाल उठाने का हक नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में वह दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 26, रूल 10(2) के तहत इस रिपोर्ट पर सवाल उठा सकते थे।
30वें दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में 30वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि केवल विश्वास के आधार पर यह स्पष्ट नहीं होता कि अयोध्या में मंदिर था।
29वें दिन की सुनवाई
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने 29वें दिन की सुनवाई में कहा कि हिंदू पक्ष चाहता है कि राम जन्मभूमि पर मौजूद निर्माण को ध्वस्त कर दिया जाए। इसके बाद वहां पर मंदिर का निर्माण कर दिया जाए।
28वें दिन की सुनवाई
सुनवाई के 28वें दिन कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने नरमी बरती। उन्होंने कहा कि कोई शक नहीं है कि भगवान राम का सम्मान होना चाहिए।
27वें दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को आपत्तिजनक पत्र लिखने वाले 88 वर्षीय सेवानिवृत्त लोकसेवक के खिलाफ बृहस्पतिवार को अवमानना का मामला बंद कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि इस वयोवृद्ध व्यक्ति ने धवन को लिखे पत्र में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने पर खेद व्यक्त कर दिया है। पीठ ने उसे आगाह किया कि भविष्य में इस तरह की हरकत की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
26वें दिन की सुनवाई
अयोध्या विवाद की 26वें दिन की सुनवाई में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षकारों से 18 अक्टूबर तक अपनी जिरह पूरी करने को कहा है। जिसके बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस के लिए अगले हफ्ते तक का समय मांगा, जबकि निर्मोही अखाड़े को अपनी दलील रखने के लिए कितना समय चाहिए, इस बारे में उन्होंने कोर्ट को जानकारी नहीं दी। रामलाल पक्ष ने कहा कि वह इस बारे में दो दिन में अपना जवाब कोर्ट को दे देंगे।
25वें दिन की सुनवाई
उच्चतम न्यायालय में अयोध्या विवाद की 25वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने यह दलील दी। उन्होंने कहा, किसी स्थान को न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पवित्रता ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए उसमें कैलाश पर्वत जैसी भौतिक अभिव्यक्ति और आस्था की निरंतरता के साथ यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की जाती थी।
24वें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले की सुनवाई के 24वें दिन मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा है कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति नहीं है। वहीं, हिंदू पक्षकार की ओर से आस्था व विश्वास के साथ-साथ जन्मस्थान और जन्मभूमि को लेकर दलील दी गई।
23वें दिन की सुनवाई
23वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने वरिष्ठ वकील जाफरयाब जिलानी ने कहा कि साल 1885 में निर्मोही अखाड़े ने जब अदालत में याचिका दाखिल की थी तब उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात की थी।
22वें दिन की सुनवाई
22वें दिन की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ के समक्ष धवन ने कहा, ‘हिंदू पक्ष जबरन घुसकर कब्जा करने के बाद स्थल पर मालिकाना हक मांग रहा है। क्या गैरकानूनी कार्य करने के बाद प्रतिकूल कब्जे का फायदा लिया जा सकता है?’ उन्होंने कहा कि लिमिटेशन एक्ट (मुकदमा दायर करने की समयसीमा संबंधी कानून) की धारा 65 और 142 के तहत प्रतिकूल कब्जा तभी होगा, जब इसमें कब्जे का एनिमस (इरादा) और कॉर्पस (वस्तु) हो तथा ये दोनों संयुक्त रूप से मौजूद हों। इसमें संवेदना और तंगियों को कोई तवज्जो नहीं दी जाती।
21वें दिन की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्याक्षता वाली पांच जजों के समक्ष मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि इस मामले में दिसंबर 1950 का मजिस्ट्रेट का आदेश गलत था। इस आदेश के बाद ही से वह(हिन्दूपक्ष) अपना दावा जता रहे हैं। दो बजे पांच जजों की पीठ के समक्ष शुरू हुई सुनवाई के दौरान धवन ने कहा कि ये स्थल उन्हें बिलोंग नहीं करता, वे उसके मालिक नहीं है। इस पर हमारा जुड़ा हुआ और संबंधित अधिकार है।
20वें दिन की सुनवाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में 20वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहा है। लेकिन अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन में था और राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष धवन ने निर्मोही अखाड़े के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को दिसंबर 1949 में विवादित ढांचे के बीच वाले गुंबद के नीचे रखा गया था।
19वें दिन की सुनवाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय में 19वें दिन सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्षकारों ने दलील दी कि लगातार नमाज ना पढ़ने और मूर्तियां रख देने से मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह सही है कि विवादित ढांचे का बाहरी अहाता शुरू से निर्मोही अखाड़े के कब्जे में रहा है। झगड़ा आंतरिक हिस्से को लेकर है जिस पर कब्जा किया गया, लेकिन अदालत में किए गए उनके दावों में यह नहीं है। हम प्रतिकूल कब्जा मांग रहे हैं।
18वें दिन की सुनवाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के 18वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे का अधिकार नहीं हैं, न ही मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा करते हैं। उसकी वजह यह है कि 1934 में निर्मोही अखाड़े ने अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दी गई।
17वें दिन की सुनवाई
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के 18वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे का अधिकार नहीं हैं, न ही मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा करते हैं। उसकी वजह यह है कि 1934 में निर्मोही अखाड़े ने अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दी गई।
16वें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले में हुई सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने शिया बोर्ड के वकील को भी सुना। इस दौरान शिया बोर्ड ने कहा कि हमने इमाम तो सुन्नी रखा लेकिन मुतवल्ली हम ही थी। शिया बोर्ड मुख्य मुकदमे में पार्टी नहीं है। देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने बोर्ड के वकील एमसी धींगरा से सवाल किया कि जब 1946 में उनकी अपील सिविल अदालत में खारिज हो गई थी तो उन्होंने अपील क्यों नहीं की। धींगरा ने कहा कि हम डरे हुए थे। शिया बोर्ड ने 2017 में इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।
15वें दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने एक हिंदू संस्था की इस मांग को थोड़ी समस्या वाली बताया कि करीब 500 साल के बाद इस बात की न्यायिक तरीके से छानबीन की जाए कि क्या मुगल शासक बाबर ने अयोध्या में विवादित ढांचे को ‘अल्लाह’ को समर्पित किया था ताकि यह इस्लाम के तहत वैध मस्जिद बन सके। ‘अखिल भारतीय श्री राम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति के वकील ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलती की कि वह इस मामले में नहीं जाएगा कि क्या बाबर ने बिना ‘शरिया’ ‘हदीस’ और अन्य इस्लामिक परंपराओं का पालन किये बिना मस्जिद का निर्माण कराया।
14वें दिन की सुनवाई
अयोध्या केस में 14वें दिन हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने दलीलें देते हुए खंडन किया कि मस्जिद बाबर ने बनवाई।
13वें दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में हुई 13वें दिन की सुनवाई में निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि विवादित ढांचे में मुस्लिम ने 1934 के बाद से कभी नमाज नहीं पढ़ी है। ये मंदिर ही था जिसकी देखरेख निर्मोही अखाड़ा करता था।
बारहवें दिन की सुनवाई
अयोध्या भूमि विवाद पर सोमवार को 12वें दिन की सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष निर्मोही अखाड़े ने अपना पक्ष रखा और वह इसी बात पर अड़ा रहा कि पूरा विवादित हिस्सा उनका है। रामलला और उनके मित्र का इसमें कोई भी हक नहीं बनता।
ग्यारहवें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले में ग्यारहवें दिन की सुनवाई में सीजेआई ने निर्मोही अखाड़े की ओर से दलील रख रहे सुशील जैन को हिदायत दी कि अब वो लिमिटेशन के बजाए केस की मेरिट पर बात करें। सुशील जैन ने कोर्ट से कहा था कि वो विवादित जमीन पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर रहे, सिर्फ पूजा प्रबंधन और कब्जे का अधिकार मांग रहे हैं।
दसवें दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले की सुनवाई के दसवें दिन अखाड़ा ने अनंतकाल से विवादित स्थल पर भगवान ‘राम लला विराजमान का एकमात्र आधिकारिक ‘शबैत होने का दावा करते हुए कहा था कि वह वहां पर पूजा के लिये ‘पुरोहितनियुक्त करता रहा है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, जिस क्षण आप कहते हैं कि आप ‘शबैत (राम लला का भक्त)हैं, आपका (अखाड़ा) संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं रह जाता है।
नौवें दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को रामजन्मभूमि विवाद पर सुनवाई के नौवें दिन रामजन्म पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने कहा कि अथर्व वेद में अयोध्या की पवित्रता का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि अयोध्या में एक मंदिर है, जिसमें पूजा करने से मुक्ति मिलती है। इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि अयोध्या की पवित्रता पर कोई संदेह नहीं। आप विवादित स्थल के ही जनस्थान होने के साक्ष्य पेश करें।
आठवें दिन की सुनवाई
आठवें दिन की सुनवाई के दौरान ‘राम लला विराजमान के वकील ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण करने के लिए हिंदू मंदिर गिराया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस वैद्यनाथन ने अदालत में कहा कि ‘एएसआई की रिपोर्ट में मगरमच्छ और कछुए की आकृतियों का जिक्र है, जिसका मुस्लिम संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है।
सातवें दिन की सुनवाई
सातवें दिन की सुनवाई के दौरान राम लला विराजमान की ओर से दलील दी गयी कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से ‘राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलों के समर्थन में विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिये अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के अंश पढ़े।
छठे दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन राम लला विराजमान के वकील ने कहा कि हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके तर्कसंगत होने की जांच के लिये इसके आगे नहीं जाना चाहिए। राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष आगे दलीलें पेश कीं। वैद्यनाथन ने पीठ से कहा, ‘हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके आगे जाकर यह नहीं देखना चाहिए कि यह कितना तार्किक है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने मंगलवार को न्यायालय को बताया था कि भगवान राम की जन्मस्थली अपने आप में देवता है और मुस्लिम 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अधिकार होने का दावा नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति को बांटना ईश्वर को ‘नष्ट करने और उसका ‘भंजन करने के समान होगा।’
पांचवें दिन की सुनवाई
पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस शुरू हुयी कि क्या इस विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने मस्जिद के निर्माण होने से पहले इस विवादित स्थल पर कोई मंदिर होने संबंधी सवाल पर बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन न्यायाधीशों की पीठ अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था।
चौथे दिन की सुनवाई
अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद में सुनवाई महत्वपूर्ण दौर में पहुंच गई है। उच्चतम न्यायालय में बुधवार को हुई सुनवाई में इसकी तस्दीक की गई कि विवादित स्थल पर ढांचे को तोड़कर निर्माण किया गया। मस्जिद पहले से वहां नहीं थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ में जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि जन्मस्थान पर विध्वंस और निर्माण हुआ। यहां पर मस्जिद बनी। पीठ ने यह टिप्पणी तब कि जब रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने बताया कि 1945 में शिया वक्फ बोर्ड ने सुन्नी बोर्ड के खिलाफ जिला अदालत में मुकदमा दर्ज किया था।
तीसरे दिन की सुनवाई
अयोध्या मामले में तीसरे दिन की सुनवाई आठ अगस्त को हुई थी। बेंच ने पूछा कि एक देवता के जन्मस्थल को न्याय पाने का इच्छुक कैसे माना जाए, जो इस केस में पक्षकार भी हो। इस पर वकील ने कहा था कि हिंदू धर्म में किसी स्थान को पवित्र मानने और पूजा करने के लिए मूर्तियों की जरूरत नहीं है।
दूसरे दिन की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुनवाई के दूसरे दिन दौरान निर्मोही अखाड़े से जानना चाहा कि विवादित स्थल पर अपना कब्जा साबित करने के लिये क्या उसके पास कोई राजस्व रिकार्ड और मौखिक साक्ष्य है। इस पर निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसके पास रामजन्मभूमि के स्वामित्व का कोई सबूत नहीं है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि क्या ‘क्या आपके पास मौखिक या दस्तावेजी साक्ष्य हैं या कुर्की से पहले रामजन्मभूमि के कब्जे का राजस्व रिकॉर्ड?’ इस पर पांच सदस्यी बेंच के समझ अखाड़ा ने कहा कि साल 1982 में डकैती हुई थी, जिसमें हमने सारे रिकॉर्ड खो दिए।’
पहले दिन की सुनवाई
6 अगस्त को शुरू हुई रोजाना सुनवाई के पहले दिन निर्मोही अखाड़ा ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना दावा किया था। उन्होंने कहा कि पूरी विवादित भूमि पर 1934 से ही मुसलमानों को प्रवेश की मनाही है।