रायपुर। राजधानी के मातृछाया में पल रहे अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए विदेशियों ने भी दिलचस्पी दिखाई है। रायपुर के सेवा भारती मातृछाया से पिछले दो साल के भीतर पांच बच्चों को विदेशियों ने गोद लेकर संतान सुख हासिल किया है। अमेरिका में सबसे अधिक चार और एक न्यूजीलैंड के दंपती ने बच्चों को गोद लिया है। विदेशों से अभी भी 10 से अधिक आवेदन कतार पर हैं। यह स्थिति तब है जब विदेशियों को बच्चा गोद लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। साल 2015 से 2019 तक रायपुर से दूसरे राज्यों में 34 बच्चों को गोद लिया गया है। प्रदेश में ही करीब 35 बच्चों को गोद दिया गया है। इनमें 60 फीसद बालिकाएं है।
बालकों की अपेक्षा बालिकाओं को गोद लेने के लिए ज्यादा आवेदन आ रहे हैं, जो इस बात को दर्शाता है कि लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आ रहा है। गौरतलब है कि पहले किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना बहुत आसान था। महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी के यहां आवेदन के बाद जिला जज की अनुमति से बच्चा मिल जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बच्चा उसी व्यक्ति को गोद दिया जा रहा है, जो बेहतर ढंग से देखभाल कर सके। गोद लेने के लिए आठ-नौ माह लग रहा है।
विदेशियों को भारत में बच्चा गोद लेने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है। प्रक्रिया भले ही सामान्य लगती हो, लेकिन व्यवहारिक तौर पर बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। प्रवासी भारतीयों सहित विदेशियों को अपने देश में पंजीकृत एडॉप्शन एजेंसी के माध्यम से ही अपील दर्ज करनी होती है, जिन्हें भारत में भी काम करने की इजाजत हो। भारत में ऐसे मामलों की कागजी कार्रवाई सरकार द्वारा पंजीकृत एजेंसियां ही कर सकती हैं। अब वे देश की किसी भी अदालत में सीधे तौर पर विदेशी नागरिक गोद लेने का आवेदन नहीं कर सकते।
अभी मातृछाया में 19 बच्चे पल रहे हैं । इन्हें गोद लेने के लिए अभी 200 आवेदन हैं। गौरतलब है कि किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के छह से आठ माह इंतजार के बाद ही आप बच्चा गोद ले पाएंगे। अब सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी की वेबसाइट पर आवेदन के समय ईमेल आइडी, मोबाइल नंबर, पैनकार्ड समेत कई प्रमाण पत्र देने होंगे। योजना के तहत आवेदन के बाद छह बच्चों की फोटो, नाम आदि विवरण आवेदनकर्ता को उसकी ई-मेल आइडी पर भेजी जाएगी। गोद लेने वाले परिवारों की स्थिति का आकलन, पुलिस रिपोर्ट, आय और स्वास्थ्य सर्टिफिकेट आदि देने होते हैं। इन दस्तावेजों को भारतीय दूतावास या उच्चायोग में अटेस्टेड किया जाता है।