रायपुर। राजधानी में मानवता को ताक पर रखकर घोड़ी पिंकी पोनी के चारों पैर के खुर अज्ञात आरोपित ने काट लिए थे। पिंकी पोनी नामक घोड़ी 20 दिन तक अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाई। पिंकी को जो जख्म मिला था, उससे वह तो चैन से मर भी नहीं पाई। अंततः पिंकी ने 20 दिन बाद तड़प कर मौत को अपने गले लगा लिया। अज्ञात आरोपित द्वारा शनि के प्रकोप से बचने, घर में सुख-शांति बनी रहे तथा ताबीज बनाने के लिए पिंकी के खुर काटने की बात सामने आई है। घटना के बीत जाने के बाद भी न तो आरोपित का और न ही पिंकी पोनी के मालिक का पता चल पाया है।
ज्ञात हो कि 20 सितंबर को डेढ़ से दो साल की पिंकी पोनी नामक घोड़ी सरोना स्थित मैदान के कोने में पड़ी कराह रही थी। मैदान से गुजर रहे व्यक्ति ने पीपुल फॉर एनीमल की कार्यकर्ता कस्तूरी बलाल को फोन करके इसकी सूचना दी। उसके बाद उनकी टीम मौके पर पहुंची।
एंबुलेंस के माध्यम से उपचार के लिए पिंकी को राज्य स्तरीय पशु चिकित्सालय लाया गया। पिंकी का पैर धारदार हथियार से काटकर चारों खुर को काटकर निकाल लिया गया था। पिंकी का लगातार 15 दिन तक उपचार चला।
कस्तुरी बलाल ने अस्पताल से चंदखुरी स्थित वाटिका एनीमल सेंचुरी में ले जाकर रखी थी। लेकिन उसके शरीर में हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो गई थी। जिस कारण गुरूवार को उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मालिक और घटना को अंजाम देने वाले आरोपित के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत अपराध दर्ज किया जाना था लेकिन 20 दिन के बाद भी ना तो मालिक का और ना ही आरोपित की जानकारी विभाग को मिल पाई है।
जादू-टोना के लिए निकालते हैं खुर
वन्यप्रेमी ने बताया कि घोड़े का खुर काला जादू के प्रकोप से बचने तथा शनिग्रह को दूर करने के उपयोग में लाया जाता है। इसके साथ ही कुछ लोग खुर का ताबीज बनाकर भी पहनते हैं, इसलिए इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं।