कोरिया : कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर जनपद की ग्राम पंचायत बुढ़ार स्वच्छता और कचरा प्रबंधन की मिसाल बन चुकी है। इस बदलाव की नायिकाएं हैं श्रीमती अंजली बाई, हिरामनी, मित्तल बाई और लीलावती दीदी, जिन्होंने अपनी कर्मठता और संकल्प से गांव में स्वच्छता की अलख जगाई।
संघर्ष की शुरुआतरू जब चुनौतियां आईं सामने
ग्राम पंचायत बुढ़ार के सरपंच पुरन सिंह पैकरा ने जब स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित होकर गांव को साफ-सुथरा और आदर्श पंचायत बनाने का निर्णय लिया, तब इन ग्रामीण महिलाओं ने इस पहल का नेतृत्व करने का संकल्प लिया। लेकिन यह राह आसान नहीं थी। शुरुआत में गांव के लोगों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। स्वच्छता को लेकर उदासीनता, कचरा प्रबंधन की समझ का अभाव और सामाजिक रूढ़ियों के चलते इन महिलाओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने उनके प्रयासों का उपहास भी किया, लेकिन इन दीदियों ने हार नहीं मानी।
इन्होंने घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाया, लोगों को यह समझाया कि कचरे का सही निपटान न केवल पर्यावरण, बल्कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। उनकी मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे गांव वाले इस अभियान में सहयोग देने लगे।
कचरा प्रबंधन से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम
ग्राम पंचायत ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की मदद से महिला समूहों को कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी और उन्हें रिक्शा उपलब्ध कराया। अब ये महिलाएं हर बुधवार और शनिवार को घर-घर जाकर कचरा एकत्र करती हैं और उसे सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर में ले जाती हैं, जहां कचरे को अलग-अलग वर्गों में विभाजित किया जाता है।
इन प्रयासों का आर्थिक लाभ भी दिखने लगा। पिछले कुछ महीनों में इन महिलाओं ने 350 किलोग्राम सूखा कचरा और 57 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा बेचकर समूह के लिए 22 हजार रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की। इस आय का उपयोग गांव की स्वच्छता सुविधाओं को और बेहतर बनाने में किया जा रहा है।
गर्व की उपलब्धि: ओडीएफ प्लस मॉडल पंचायत का दर्जा
इन दीदियों की मेहनत और ग्रामवासियों के सहयोग से ग्राम पंचायत बुढ़ार को 14 अगस्त 2024 को ओडीएफ प्लस मॉडल पंचायत घोषित किया गया। यह सफलता दिखाती है कि जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो केवल उनका परिवार ही नहीं, पूरा गांव सशक्त होता है।
जिला कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा-स्वच्छता केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आदत होनी चाहिए। जल, जंगल और जमीन को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करना हम सभी की जिम्मेदारी है। बुढ़ार की ये महिलाएं पूरे जिले के लिए प्रेरणादायक उदाहरण हैं। जिला पंचायत सीईओ डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा गांव की ये महिलाएं न केवल अपने गांव को स्वच्छ बना रही हैं, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देने में सफल हो रही हैं।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
श्रीमती अंजली बाई, हिरामनी, मित्तल बाई और लीलावती दीदी जैसी महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि यदि संकल्प और मेहनत हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं है। उनकी यह पहल न सिर्फ गांव को स्वच्छ बना रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि महिला नेतृत्व समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।
ग्राम बुढ़ार की ये महिलाएं साबित कर रही हैं कि जब नारी ठान ले, तो बदलाव अवश्य संभव होता है। महिला दिवस के इस अवसर पर, ये दीदियां न केवल अपने गांव बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं।