Home कोरिया कोरिया/बैकुण्ठपुर : नगर पालिका है या नर्क पालिका ?……………

कोरिया/बैकुण्ठपुर : नगर पालिका है या नर्क पालिका ?……………

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बैकुण्ठपुर मुख्यालय में नगर पालिका की स्थिति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि यहाँ की नगर पालिका वास्तव में नर्क पालिका बन गई है । इस मामले में स्थानीय लोगों ने कई शिकायतें दर्ज की हैं, जिनमें सुविधाओं की कमी, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही शामिल हैं। कोरिया जिले में बैकुण्ठपुर एक महत्वपूर्ण शहर है, लेकिन यहाँ की नगर पालिका की कार्यशैली से लोग नाराज हैं। लोगों का कहना है कि नगर पालिका के अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही से नहीं कर रहे हैं और इससे शहर की स्थिति खराब हो रही है।

जानकार सूत्रों के अनुसार, नगर पालिका अध्यक्ष और मुख्य नगर पालिका अधिकारी के नेतृत्व में जहां रोड़ नहीं बनना चाहिए था वहां रोड के नाम से पैसा निकाल रहे है और जहां नाली नहीं बननी चाहिए थी वहां नाली के नाम से पैसा निकाल रहे है। यहां तक कि, लगभग 28-30 लाख रूपये बाईसागर तालाब में प्राइवेट रोड़ बनाकर पैसा निकाल लिया गया है।

वहीं बताया जाता है कि, नगर पालिका एवं एसडीएम महोदया जी से डायवर्सन रिपोर्ट मांगने से उनकी शर्तें होती है। उसमंे लिखा रहता है भवन निर्माण में जीतनी जमीन है उसमें से लगभग 40 प्रतिशत जमीन छोड़कर निर्माण करना होगा। मकान निर्माण करते समय किसी पड़ोसी को निर्माण कार्य पर कोई आपत्ति है तो निर्माण खारीज कर दी जाती है। परंतु यहां आपत्ति लगाने के बाद भी निर्माण कार्य जारी है। आमजनता पूछना चाहती है कि, किसी नियम का आज तक पालन हुआ है ? या खाली बाबू राज चल रहा है। पैसा दो सब काम नजायज भी जायज हो जाता है।

मिली जानकारी के अनुसार, प्रशासन आम जनता का दमन कर रहा है। देखने वाली बात है कि, बाईसागर तालाब के रिकाॅर्ड में तालाब व निस्तार की भूमि लिखा हुआ है। उसके बावजूद पूर्व एसडीएम महोदय, नगर निवेश, नगर पालिका एवं वर्तमान कलेक्टर महोदया जी द्वारा अनुमति कैसे दे दिया गया ? इसके बावजूद भी फर्जी कारोबार में प्रशासन लिप्त है। बैकुण्ठपुर में जगह-जगह शासकीय जमीनों पर किसके दिशा-निर्देश से अतिक्रमण हो रहा है ? आज समाचार कई महीनों से लिखा जा रहा है पर प्रशासन मौन क्यों ? दूकानदार भी अपनी दूकानों से रोड़ पर बढ़ाकर दूकान लगा रहे है। नगर पालिका में तो इस प्रकार लूट है कि, दूकानों का नीलामी से लेकर दूकानदार ऊंचें दामों में लगभग 80-90 लाखों में दूकाने बेच रहे है। क्या नियम सिथिल या नगर पालिका के चट्टोकारों से परिवर्तन कराया जा रहा है ? लोगों में चर्चाऐं है कि, जब आर.आई द्वारा अपने परिवारों के नाम दूकानों को ले लिया जा रहा है तो इससे ज्यादा घटिया कर्मचारी कहां मिलेगा ? यह समाचार आमजनता के विचारधाराओं से प्रकाशित किया जा रहा है।

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