छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी सुर्खियों पर चल रही है। लोगों का कहना है कि, बड़े-बड़े नेता जिनको यही नहीं मालूम कौन व्यक्ति हमारे पार्टी में विधायक है और कौन नही ? खाली दबाव की राजनितिक एवं पैसे के उगाई के कारण आज कांग्रेस पतन की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस ही कांग्रेस को हराने में लगे हुए है। क्योंकि कांग्रेसियों में आपसी विवाद के कारण कांग्रेस पटरी से नीचे उतर चुकी है।
लोगों में चर्चाऐं है कि, जैसे बैकुण्ठपुर कोरिया के समीप पटना नगर पंचायत में कांग्रेसियों में आपसी मतभेद के कारण कांग्रेस का ही प्रत्याशी बीजेपी में चला गया। और कांग्रेस तीन लोगों में विभाजित हो गयी। वहीं बताया जा रहा है कि, पटना के नजदीक ग्राम पंचायत छिन्दिया में एक ही पद के लिए कांग्रेस आपस में भीड़ रही है। जिसमें एक भाजपा प्रत्याशी, एक निर्दलिय और दो कांग्रेस के समर्थीत है। जानकार सूत्र बताते है कि, जिन्होंने पूर्व में जनपद का उपाध्यक्ष रहकर पद का दूरूपयोग किया था।
जानकार सूत्र बताते है कि, आशा महेश साहू पूर्व से विवादित रहे है। क्योंकि उनको न कांग्रेस से मतलब है, न ही बीजेपी से। उनको केवल पैसा वसूलने से मतलब है। जिसमें एक ऐसा भी व्यक्ति है। जो कि अपने को न तो टीएस का सगा मानता है, न तो चरणदास महंत का सगा। केवल उनको पैसे से मतलब है। मिली जानकारी के अनुसार, आज वह व्यक्ति पूर्व विधायक के साथ रहकर करोड़ों का आसामी बन गया है। जो कि लोगों में तरह-तहर की चर्चाऐं कर रहे है कि, वह व्यक्ति एक वार्ड का चुनाव नहीं जीत सका तो वह विधायक का ख्वाब देखता है। जिस प्रकार लोगों द्वारा बताया जाता है शासकीय कर्मचारी अपने पत्नी के प्रचार में जुटा हुआ है क्या कोरिया कलेक्टर उसको नजर-अंदाज कर रहे है? जैसे- पूर्व में जनपद उपाध्यक्ष जो कि अपने सरल स्वभाव व जनता के हितैषी जिससे लोगबाग अनिल जायसवाल के नाम से जानते है जो कि किसी पहचान के मौहताज नहीं है। उस स्वच्छ छवी वाले व्यक्ति को आम जनता का सहयोग करना चाहिए, जिससे समय पर काम आवे। न कि उस तरह जैसे एक कहावत है हाथी पर चढ़कर गधे में उतर जाना। जो कि चिरमिरी नगर निगर महापौर एक उदाहरण है।