जिला मुख्यालय में नायब तहसीलदार व पटवारी द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों के धान खरीदी केन्द्रों में अपना दबाव बना रहे है। लोगों में तरह-तरह की चर्चा है कि, धान बेचने वाले किसानों पर भी दबाव बनाकर पैसा निकाला जा रहा है। वही बताया जाता है कि, धान खरीदी केन्द्रों में धान खरीदी केन्द्र के प्रबंधक लापता रहते है। जो कि खरीदी करने वाले और तौलने वाले कर्मचारी अलग-अलग रखे हुए है।
जानकार सूत्र बाते है कि, उन कर्मचारियों द्वारा भी किसानों से पैसा लिया जा रहा है और जो परिचित है उन्हें छोड़ देते है। बाकि सभी से पैसा वसूल रहे है। यहां तक कि, बोरा एवं धान पलटने व चढ़ाने के नाम पर 16 रूपये बोरा लिया जा रहा है। जबकि शासन द्वारा सभी खर्चे दिये जाते है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ नयी पीढ़ी के पत्रकार पैसा मिलने पर वह प्रबंधकों की भी बहुत बड़ी चापलूसी करते है। क्योंकि सच्चाई को छिपाकर चापलूसी करने में ही पैसा मिलता है। यह सभी जांच के दायरे में आते है। अब देखना यह है कि, प्रशासन इन पर क्या प्रतिक्रिया निभाती है ? कि, ऐसा नायब तहसीलदार व पटवारी कौन है जो कि, धान खरीदी केन्द्रों में घुम-घुमकर पटवारी द्वारा पैसा निकाला जा रहा है। जो कि लोगों द्वारा चर्चाऐं तरह-तरह की चल रही है।