गांव में वर्षों तक रही पानी की समस्या
बैगापारा जैसे दुर्गम क्षेत्रों में लंबे समय तक स्वच्छ पानी की व्यवस्था न होने के कारण लोग प्राकृतिक जल स्रोतों और छोटे मोटे कुओं पर निर्भर थे। इन स्रोतों की स्वच्छता और उपलब्धता अक्सर अनियमित रहती थी, जिससे जल जनित बीमारियां और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आम थी। महिलाओं और बच्चों को पानी भरने के लिए घंटों लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, जिससे उनकी शिक्षा और दैनिक जीवन भी प्रभावित होता था।
जल जीवन मिशन का शुभारंभ और बदलाव का सफर
01 अप्रैल 2024 को जल जीवन मिशन के तहत बैगापारा में नल-जल आपूर्ति के प्रयास शुरू किए गए। सरकार ने गांव के हर घर को 100 प्रतिशत एफएचटीसी (फंक्शनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन) से जोड़ने का लक्ष्य रखा। 18 नवंबर 2024 तक बैगापारा के प्रत्येक घर को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि सभी परिवारों को निजी स्रोतों के जरिए स्वच्छ पानी की नियमित आपूर्ति हो।
स्वच्छ पानी ने बदली ग्रामीणों की जिंदगी
जल जीवन मिशन के प्रभाव ने बैगापारा के लोगों के जीवन में अभूतपूर्व बदलाव लाया है। अब ग्रामीणों को पानी के लिए दूर नहीं जाना पड़ता। महिलाओं और बच्चों का समय और श्रम बचत होती है, वे लोग अपना समय अब शिक्षा, खेती और अन्य उत्पादक कार्यों में लगा रहे हैं। स्वच्छ पेयजल ने जल जनित बीमारियों की घटनाओं को काफी हद तक कम कर दिया है। फूलबाई बैगा ने इस योजना का व्यक्तिगत रूप से लाभ उठाया और इसे ग्रामीणों के लिए जीवन बदलने वाला अनुभव बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा यह पहल हमारे जैसे गांवों को आत्मनिर्भर और स्वस्थ बना रही है। अब हमारा जीवन पहले से कहीं ज्यादा सरल और सुरक्षित हो गया है।
प्रेरणा का स्रोत बना बैगापारा
बैगापारा की सफलता अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गई है। जल जीवन मिशन ने साबित किया है कि सही दिशा में किए गए ठोस प्रयासों से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वस्थ बनाया जा सकता है। यह कहानी केवल सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की नहीं, बल्कि गांववासियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में उठाए गए एक बड़े कदम की मिसाल है। बैगापारा अब पूरे क्षेत्र में एक मॉडल गांव के रूप में उभर रहा है।