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कोरिया/बैकुण्ठपुर : सुप्रिम कोर्ट के आदेशों का बैकुण्ठपुर प्रशासन कर रहा अवहेलना ?…………..

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जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में बाईसागर तालाब को भाटे हुए लगभग 25-26 वर्ष हो चुका है इससे पूर्व बाईसागर निस्तारी तालाब में हरे-भरे सागौंन एवं हर्रा के वृक्ष थे जिससे भू-माफियों द्वारा उन वृक्षों को कटवा कर तालाब को भाट दिया गया। यह किसके आदेशों पर कटवा कर भाटा गया ? क्योंकि उस तालाब में एक नहीं सैकड़ों वृक्ष थे।

वही सुप्रिम कोर्ट व हाई कोर्ट के आदेश की गाईड लाईन में लिखा हुआ है कि, निस्तारी तालाब को बेचा नहीं जा सकता। जबकि बाईसागर तालाब के रिकाॅर्ड अनुसार यह तालाब जानवरों के पानी पीने, नहाने व निस्तार के लिए आरक्षित किया गया है। परंतु भू-माफियों ने एक 420 का मामला अपने आप बनाया है जो कि किसके आदेश पर निस्तार की तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया है ?

बता दें कि, आवेदक द्वारा वर्षों से बाईसागर तालाब के संबंध में बैकुण्ठपुर प्रशासन को लिखा जा रहा है पर भू-माफियों के ऊपर इसका कोई असर नहीं होता। क्या प्रशासन के ऊपर कोई दबाव का कारण है ? जो कि आज भू-माफियों ने तालाब को विलुप्त करने का पूरी ताकत लगा दी है। सोचने वाली बात है कि, क्या एक टाउन के अंदर तालाब को लगभग 6 लाख में खरीदा जा सकता है ? जानकार सूत्र बताते है कि, इसमें भी स्टाॅम डियूटी चोरी करने का मामला सामने आ रहा है क्योंकि लगभग 50 लाख के स्थान को 6 लाख लिखवाया गया है। पर आज भी तालाब में निर्माण कार्य जारी है। जब किसी स्थान की जांच हो रही हो तो उस स्थान के कार्य को बंद होना चाहिए, परंतु यहां तो विपरित हो रहा है जांच भी हो रही है और निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। लोग यह नहीं समझ पा रहे है कि, प्रशासन के ऊपर ऐसा क्या दबाव हो रहा है जो कि अवैध रूप से चल रहा निर्माण कार्य बंद नहीं किया जा रहा है। नगरवासियों में चर्चाऐं है कि, श्रीमती कलेक्टर महोदया जी को इस संबंध को लेकर संज्ञान में लेना चाहिए और निर्माण कार्य तुरंद बंद करने का निर्देश देना चाहिए।

 

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