कोरिया : जिला कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने जिले में स्थित सभी आंगनवाड़ी केंद्र, विद्यालय, आश्रम शाला, छात्रावास और स्वास्थ्य केंद्रों के उन कमरों जो जर्जर एवं क्षतिग्रस्त हैं में कक्षाओं एवं गतिविधियों के का संचालन न करने की सख्त हिदायत दी है। उन्होंने कहा उन भवनों और कमरों में जहां बारिश के कारण जोखिम की आशंका है वहां की जगह ऐसी गतिविधियों को अन्य सुरक्षित कमरों में संचालन किया जावे। उन्होंने विभाग प्रमुखों को इस आशय के निर्देश देते हुए ऐसे जर्जर व क्षतिग्रस्त भवनों के चिन्हांकन के निर्देश दिए साथ ही निर्माण एजेंसियों को चिह्नांकित जर्जर भवनों और कमरों का मरम्मत कार्य शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि जिले में संचालित कोई भी शासकीय या अशासकीय विद्यालय, महाविद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र या हॉस्टल जर्जर भवनों और कमरों में संचालित न हो यह संबंधितों द्वारा सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही जिन कमरों की स्थिति बेहतर है, वहां विद्यार्थियों को पढ़ाई कराई जाए और स्वास्थ्य केंद्रों के बेहतर कमरों में मरीजों का उपचार जिम्मेदारी से करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने इन जर्जर भवनों की स्थिति की जांच कर पुरानी एवं जर्जर अवस्था की इमारतों को चिन्हित करने और जो इमारतें मरम्मत योग्य हैं, उनकी तत्काल मरम्मत करने का आदेश दिया है। वहीं, जो भवन अत्यंत जर्जर अवस्था में हैं, उन्हें नियमानुसार ध्वस्त करने की कार्यवाही की जाए।
तीन दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें
कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और आदिम जाति विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित जर्जर भवनों की जांच कर तीन दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। इसके अलावा, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाले जर्जर मकानों का सर्वे कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें ताकि संभावित दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
पुल-पुलिया के पास सचेत बोर्ड लगाएं
कलेक्टर ने आम राहगीरों खासकर युवाओं से अपील की है कि पुल-पुलियों के ऊपर बहते पानी के दौरान आवागमन न करें, इससे जन-धन की हानि की आशंका बनी होती है। सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे पुल और पुलिया के पास सचेत बोर्ड लगाए जाएं जहां अतिवृष्टि के कारण जलभराव पुल के ऊपर तक हो जाता है। जलभराव की स्थिति में किसी भी तरह का आवागमन न हो, इसे प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं।