कोरिया बैकुण्ठपुर मुख्यालय में ऐसा कौन सा पटवारी था जो कि मछली खिला-खिलाकर आमजनता के साथ में खुब वसूली किया है ? जानकार सूत्र बताते है कि, एक-एक व्यक्ति से 20-20 हजार रूपये लिया गया था। यहां तक कि, सोशल मीडिया में भी पटवारी साहब पैसा लेते-देते छाये रहे। बताया जाता है कि, जमीनों में जो हरे-भरे वृक्ष रहते थे उसे रजिस्ट्री में नहीं दर्शाया जाता था। ये पटवारी इंसानियत का कोई भी परिचय नहीं दिया। लोगों में चर्चा है कि, पूूूूूूूराने नक्शे को भी छेड़-खानी कर दिया गया है। जानकार सूत्र बताते है कि, अपने सुपुत्र को भू-माफिया बना दिया है और अपने घर को करोड़ो का महल बना लिया है।
अब देखना यह है कि, वर्तमान कलेक्टर महोदया जी एवं वन मण्डाधिकारी द्वारा सच्चाई के साथ जांच करवायेंगे या नहीं। और अब सभी रिकाॅर्ड दस्तावेज नये कलेक्टर महोदया के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। जिससे पटवारियों एवं आर.आई के सम्पत्तियों की जांच की जायेगी। लोगों में चर्चा है कि, बहुत सी जमीनें पटवारियों के द्वारा अपने सगे-संबंधियों के नाम भी करवाया गया है। ये सभी जांच के संदेह में है। इनसे पूरी बैकुण्ठपुर की जनता त्रस्त हो चुकी है। जनता द्वारा बोला जाता है कि, त्राहिमान-त्राहिमान।
मिली जानकारी के अनुसार, बैकुण्ठपुर के पटवारियों एवं आर.आई. द्वारा करोड़ो की हेरा-फेरी भी किया गया है। यहां तक कि, छोटी झाड़ के जंगल को भी नामांतरण कर दिये गये है। पूर्व में एक तहसीलदार के द्वारा आवासीय जमीन को पैसे के बल पर पैसा वालों को पट्टा दे दिया गया है। ये सभी बिन्दु जांच के दायरे में है। एक कहावत भी तो है ‘‘रोड बेज की गाड़ी और रीवा का पटवारी और लूटा जाये तो सब माल सरकारी’’। इन सभी की जांच होनी चाहिए।