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छत्तीसगढ़ : सच्ची पत्रकारिता के ऊपर सरकार का कुठाराघात…………….

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छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा हर ब्लाॅक एवं जिले में प्रेस क्लब, प्रेस काउंसलिंग द्वारा पुरूष्कार दिया गया है। जानकार सूत्र बताते है कि, उसका गलत उपयोग हो रहा है। क्या पुरूष्कार किसी व्यक्तिगत के लिए दिया गया है या सामाज के पत्रकारों के लिऐ ? इसका लाभ किसको मिल रहा ? पत्रकारिता उसको कहा जाता है जो एक-दूसरे का दुःख-सुख का साथी बने। परंतु पत्रकारिता की परिभाषा 99 प्रतिशत लोग नहीं जानते, केवल पत्रकारिता को व्यापार बना कर रखे हुए है। यहां तक कि, पत्रकारिता के नाम पर पति-पत्नी, बाप-बेटे और भाई-भाई पत्रकार बने हुए है जो कि मीट, मुर्गा, दारू, पान और सब्जी वाले भी पत्रकारिता में आ गये है। ऐसा मालूम पड़ता है कि, पत्रकारिता को शरणार्थियों का क्लब बना दिया गया हो। यहां तक कि, ब्राउंन शुगर, मार्दक पदार्थ बेचने वाले भी पत्रकार बने फिर रहे है।

सरकार ने वेब पोर्टल जब से चालू किया है तब से सभी अपने आप को संपादक लिखना चालू कर दिये है यहां तक कि, इस लाईन में महिलाओं की भी भीड़ लगी हुई है जैसे- स्टेशनों में मुसाफिर अपना टिफिन खोलकर खाने बैठने लगते है तब सामने चार पैरों वालों की भीड़ लग जाती है वैसे ही नयी पीढ़ी के पत्रकार कैमरा लेकर ये सोचते रहते है कि, पत्रकारिता के नाम पर किसे लूटा जाये या विडियों बनाकर किसे पैसा वसूली किया जाये।

जानकार सूत्र बताते है कि, पूर्व में एक पेट्रोल पम्प वाली का विडियों बनाकर 20000 रूपये नयी पीढ़ी के पत्रकारों द्वारा ले लिया गया था। आज देखा जाये तो पत्रकारिता के नाम पर बहुत बड़े-बड़े बैनर लगाकर घुम रहे है। जिसको हिन्दी, उर्दू, इंग्लिश और न तो समाज का भी ज्ञान नहीं है वह भी पत्रकार बना हुआ है।

बताया जाता है कि, नयी पीढ़ी के पत्रकार आई.एस. और आई.पी.एस. वालों की चमचागिरी करने में लगे रहते है। जब देश का शासकीय चैनल दूरदर्शन में सोमेस पटेल जैसे लोग रायपुर में लूट रहे है। तो प्राइवेट और नयी पीढ़ी के पत्रकारों को क्या कहा जायें ? और वही सच्चे पत्रकार बगुला जैसे निगाहें भ्रष्टाचारियों एवं चोरों के ऊपर नजरे गाडे हुए है और नाम सहित प्रकाशित कर रहे है। फिर भी छत्तीसगढ़ शासन सच्चे पत्रकारों के ऊपर दूश्मन की दृष्टि से देख रही है और पत्रकारों के ऊपर आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रही है।

जानकार सूत्र बता रहे है कि, नयी पीढ़ी के पत्रकार लोग प्रेस को धराशाही कर दिये है अब ये देश हित में है या अपने हित में। इस संबंध में आज तक किसी भी समाचार व संगठन के द्वारा आवाज नहीं उठाया गया । कारण यही है कि, जब अपना ही दामन चारों ओर से फंसा हुआ है तो दूसरे को क्या बचायेंगे। जबकि पत्रकारिता को हमारे भारत संविधान में चैथा स्तम्भ स्वतंत्र माना जाता है। पर समय को देखते हुए आज के नयी पीढ़ी पत्रकार अपने से सीनियरों को ही हिन की दृष्टि से देखते है क्योंकि पत्रकारिता अब पत्रकारिता नहीं रह गया, अब खाली लूट-खसोट विचारधारा बन गयी है। क्योंकि सच्चा पत्रकार कभी भी किसी का चापलूसी नहीं करेगा। वह अपने सम्मान को विचारधारा से तौलता है। इस संबंध में भारतीय पे्रस परिषद दिल्ली को भी अवगत कराया जा चुका है।

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