मध्यप्रदेश के रीवा जिले का निवासी सोमेेस पटेल पिता स्वामीनाथ पटेल दस साल से एक पंडित के घर किराये के मकान पर रहते थे। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में निवासरत् है। बचपन से ही बच्चों की स्लेट, कॉपी और खाना चुराने वाला व्यक्ति चैंनल का एंकर बना है। छत्तीसगढ़ का ऐसा कोई भी चैंनल नहीं छोड़ा जिसमें चैंनल के नाम पर लोगों को ठगा नहीं। जानकार सूत्र बताते है कि, स्वामीनाथ पटेल पढ़ा-लिखा नहीं है लेकिन लड़ने में आगे है। उसके निवास के आस-पास के लोग भी त्रस्त है। जानकार सूत्र बताते है कि, इनके पास न कोई व्यापार है न कोई ठेकेदारी परंतु करोड़ो का आसामी है। यह सोचने वाली बात है कि, आय से ज्यादा सम्पत्ति किस नेता ने दिया होगा या पत्रकार के नाम से कोई गलत काम किया जा रहा है ? यह व्यक्ति अपने चैंनल वालों को क्या अवगत कराता है कि, सम्पत्ति कहां से आयी ? चैंनल के महाप्रबंधकों को इस विषय पर वार्तालाप करना चाहिए। कारण यह है कि, एक चैंनल के नाम पर मुख्यमंत्री व मंत्रियों से जुड़ा है। इसलिए अधिकारियों को धमकी देकर पैसा वसूली करता है। रायपुर में लाखों का एक मकान और दो कार भी खरीद रखा है। यहां तक कि, इसका जीजा मनीष पटेल के द्वारा सूरजपुर वन विभाग में किसी व्यक्ति के नाम पर फर्जी बिल लगाकर पैसा निकाल कर अपने परिवार के खाते में लाखो रूपये ट्रांसफर करा लिया है। और वहां से कार्य छोड़ दिया। जिसकी सूचना के आधार पर जानकारी मांगी गयी है। वहीं सोमेस पटेल ने मुख्य प्रधान वन संरक्षक के ऊपर दबाव बनाकर नियम विरूद्ध भाई और जीजा को वन विभाग में कार्यरत् पर रखा है। क्या मुख्य प्रधान वन संरक्षक को इस छत्तीसगढ़ में बेरोजगार व्यक्ति नहीं दिखे ? जो पत्रकारिता की धौस में जीजा और भाई को नौकरी पर रखा गया। यह जांच का विषय है कि, बैकुण्ठपुर में करोड़ों की जमीन खरीदा गया है या हड़प लिया गया है ? पूर्व में फर्जी बिल को लेकर रमेश सोनी एस.डी.ओ. के खिलाफ थाने में शिकायत भी किया गया था। यहां तक की छत्तीसगढ़ के मंत्रियों को भी गुमराह करता रहा। परंतु आई.एस. और आई.पी.एस.ओ. की भी मजबूरी थी जो कि ऐसे लोगों के दरवाजों के पास नेताओं के साथ झांकना पड़ा। तब से उनके परिवार वाले अपने को बहुत बड़ा पत्रकार मानते है और लोगों को डरा-धमकाकर जल संसाधन विभाग में अपना अड्डा बना कर रखा हुआ है। यहां तक चर्चा का विषय है कि, करोड़ों की फर्जी बिल लगाकर वन विभाग से पैसा भी निकाला गया है। सूत्र बताते है कि, नहर की सफाई के नाम पर मनरेगा के लेबरों से अपने घर का हत्ता खड़ा करवा रहा है। यहां तक लोगों के द्वारा बताया गया है कि, बच्चू राजवाड़े की लगभग 40 डिसमिल जमीन बैकुण्ठपुर क्षेत्र में है जो कि उसके मरने के बाद अपने नाम नामांतरण करा लिया है। यह भी एक सोचने वाली बात है कि, जमीन का रजिस्ट्री होती है तब जमीन का नामांतरण होता है। वहीं बच्चू के परिवार वालों ने बताया कि, नामांतरण बच्चे के नाम पर होना था परंतु स्वामीनाथ पटेल के नाम कैसे हुआ ? क्या इसमें पटवारी व आर.आई. की भी मिलीभगत है ? लोगों में चर्चा है कि, दूरदर्शन चैंनल के महाप्रबंधक ने ऐसे लोगों का कैसे सिलेक्शन किया ? जो चैंनल के नाम से आज भी करोड़ों की सम्पत्ति है। यह जांच का विषय है या नहीं ? बच्चू राजवाड़े का परिवार व उसकी पत्नी लोगों में चर्चा कर रही है कि, मेरे पति के जाने के बाद में मेरे जमीन को लूटा गया है। कलाकार नहर की सफाई के नाम पर अपने पर्सनल काम में लेबरों को लगाये हुए है। इसकी जानकारी उपयंत्री वरूण निराला को अवगत कराया गया है। फिर भी काम रोका नहीं गया। सूत्र बताते है कि, 40 डिसमिल जमीन में हत्ता खिंचने के लिए कम-से-कम 20 लाख रूपये होना चाहिए। यह सभी बिन्दुएं जांच का विषय है। यह सभी विचार आम जनता के है।