Home आस्था बालोद : यहां नवरात्र में होती है कुकुर देव की पूजा………..

बालोद : यहां नवरात्र में होती है कुकुर देव की पूजा………..

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बालोद जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर ग्राम खपरी मलिघोरी में स्थापित है ये ऐतिहासिक और पुरातत्विक  कुकुर देव मंदिर। जिन्हे वफादारी का प्रतीक कुकुर (कुत्ता) के नाम से जाना जाता है। अभी तक आपने देवी-देवताओं के मंदिर देखें और उनकी पूजा की होगी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताने जा रहे जिन्हें वफादारी का प्रतीक कुकुर देव के नाम से जाना जाता है। यहां दोनों नवरात्र में कलश प्रज्ज्वलि और शिवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना के साथ भव्य मेला लगता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार फणी नागवंशी राजाओं द्वारा 13वीं 14वीं शताब्दी में पुरातत्विक मंदिर का निर्माण कराया गया है। जहां एक वफादार कुकुर की समाधि स्थल पर भगवान शिव की शिवलिंग स्थापित है। गांव के लोग बतलाते हैं कि, एक बंजारा अकाल पड़ने पर क्षेत्र के साहूकार के पास कर्ज लिया था, लेकिन लगातार अकाल पड़ने की वजह से कर्ज नहीं चुका पाया। साहूकार द्वारा कर्ज पटाने तगादा किया गया तो बंजारा ने अपने कुत्ता को साहूकार को कहा या मेरा सबसे प्रिय वफादार कुत्ता है पैसा होने पर इसे वापस ले जाऊंगा ।

कुछ दिनों बाद साहूकार के घर रात मे सोने चांदी के आभूषणों के साथ सामानों की चोरी हुई। जिन्हें चोर द्वारा चोरी कर तालाब के पास छुपाते कुत्ता ने देख लिया। अगली सुबह नींद से जागते ही घर में हुई चोरी को देख साहूकार सन्न रह जाता है तभी कुत्ता साहूकार के पास उनके पहने धोती को पकड़ खींचते हुए चोरी कर छुपाए हुए सामान के पास ले जाता है और साहूकार को उनका सामान उन्हें वापस मिल जाता है।

कुकुर की वफादारी को देख साहूकार बेहद प्रसन्न होता है और उनके गले में बंजारा के नाम चिट्टी डाल उन्हे वापस जाने के लिए छोड़ दिया। वही साहूकार की रखवाली के लिए छोड़कर आए कुत्ता को वापस आता देख बंजारा बेहद नाराज हो जाता है उन्हे इसी स्थान पर जान से मार देता है तभी बंजारा कुत्ता के गले में बंधे चिट्ठी पड़ता है जिन्हें साहूकार ने बंजारा को लिखा था जिसे पढ़कर बंजारा को बेहद पीड़ा होने पर यही उनका समाधी बनाता है। इसके बाद फणि नागवशी राजाओं के द्वारा उसकी याद में यहां पौराणिक मंदिर स्थापित किया गया जिसके पत्थर के दीवार पर नाग सर्प के निशान बने हुए है और मंदिर पूर्व मुख दिशा की ओर स्थापित है जो कुकुर देव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।

ऐसी मान्यता है कि मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा मांगी गई हर मुराद पूरी होती है इसके साथ ही मंदिर में कुकुर खांसी (लगातार खांसी आना और कुत्ते की तरह खाँसना) आने वाले व्यक्ति या किसी को कुत्ता काट देने पर उनके द्वारा मंदिर में पहुंच एक नारियल चढ़ा, इसकी मिट्टी और भभूति लेकर उसे लगाने से वह पूरी तरह ठीक हो जाता है।

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