बैकुण्ठपुर मुख्यालय में ऐसे बहुत से पत्रकार बने हुए है जो कि, कहावत है मुर्दा एक है और कफन बदल-बदल कर चल रहे है। ऐसे पत्रकारों को कोरिया प्रशासन भी लायक कर रहे है। जानकार सूत्र बताते है कि, पूर्व में नयी पीढी़ के पत्रकार झूमका जल महोत्सव में अपनी प्रशंसा छपवाने के लिए प्रशासन के किस अधिकारी ने पैसा दिया है और किसके निर्देश पर किया गया है। क्या पत्रकार बिकाऊ हो चुके है ? कोरिया को बरबाद करने में बिकाऊ मीडिया का सबसे बड़ा हाथ है। क्योंकि कोरिया प्रशासन को ईमानदार, स्वच्छ छवी के पत्रकारों की जरूरत नहीं है। अभी हाल ही में संपादक का एस.पी. के प्रथम मुलाकात में चर्चा हुआ। एस.पी. महोदय के द्वारा कहा गया कि, आपके समाचार पत्र के क्या-क्या उद्देशय है। संपादक ने इस बात को लेकर कुछ एस.पी. के मुंह लगे कर्मचारी भी खड़े हुए थे जो कि उनका अधिकार देखा जाये तो भ्रष्ट्राचार में अखंड डुबे हुए है। जो कि पूर्व में बलरामपुर क्षेत्र में रह चुके है। वह अपना समय भूल गये कि, बलरामपुर में लोहा उनको मारते थे। तो उन्होंने गुणा-भाग लगाकर बैकुण्ठपुर में अपने घर वापसी हो गये। घर वापसी को आने पर वह अपने घर में जिस पद पर पूर्व में रह चुके है उस पद को देखा जाये तो कितने फर्जी कारनामे किये है। ऐसे लोगों को एस.पी. अपने सर पर चढ़ाये हुए है। वह भ्रष्ट्राचारी के नाम पर लोगों से अपने विभाग में वसूली किया करता था। आज एस.पी. के समक्ष अपनी बहादूरी की बखान करने वाले ऐसा पुलिसकर्मी कौन है ? जबकि राष्ट्रीय स्तर के संपादक के मामले में सोचना चाहिए कि हम जवाब तलब किससे कर रहे है। और कुछ अवस्था का भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि नये-नये पद पर नियुक्त होकर अपनी आपा खो बैठते है। सोचने वाली बात है कि, हमारे बैकुण्ठपुर में एक स्नातक विद्यालय में एक बाबू है जो कि बिहार का निवासी है। जो कि उस स्नातक विद्यालय में हेरा-फेरी करने में सबसे आगे रहा है और भी स्टाॅफ है जो कि बच्चों को एडमिशन के नाम पर फाॅन कर-करके पैसा मांगते है। भारत के संविधान में लिखा हुआ है कि, एक व्यक्ति एक ही संस्था में लाभ के पद पर कार्य कर सकता है। परंतु इस बिहारी को देखीए। हाथ में माइक को लेकर दूसरे की ढोल देखने चले, पर अपना पोल न देख पाये। कि हम कितना वसूली कर रहे है। बैंक आॅफ बड़ौदा शाखा प्रबंधक के समक्ष उस बिहारी ने कहा कि हम बिहार से आये है बच्चो को पालने आये है। सूत्रों के द्वारा मालूम पड़ा है कि, जिस विद्यालय में बाबू है उसमें ज्यादातर फर्जी लोग पाये जाते है। प्रशासन ऐसे लोगों पर अंकूश लगायेगा या गले में चिपकायेगा ? यह सोचने वाला दैनिय स्थिति है। ऐसी स्थिति है कि, एक कम्प्यूटर एजूकेशन चलाने वाला भी पत्रकारता के नाम पर वसूली कर रहा है। इस संबंध में भारत सरकार को अवगत कराया गया है। कि, पत्रकारता के ऊपर धज्जी उड़ाने के ऊपर कब तक कार्यवाही होती है या नही ? क्योंकि कोरिया प्रशासन कदापी कार्यवाही नहीं करेगा। क्योंकि प्रशासन इन लोगों को अपनी स्वार्थ में प्रशंसा प्रकाशन में लगे हुए है। यहां तक देखा जाये तो पुलिसकर्मी शराब, गांजा, दारू और जूआ सभी में उनका बढ़ावा दिया जा रहा है और संलिप्त भी है। जिनका फोटो लगा है इस समाचार पत्र में उनका जांच करना अति आवश्यक है।