बैकुण्ठपुर और एमसीबी जिले के कांग्रेस अध्यक्षकों के आते ही विधानसभा चुनाव भी नजदीक आ चुका था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के नजदीकी जिलाध्यक्ष कोरिया व एमसीबी के जिलाध्यक्ष जो कि पूर्व से कांग्रेस में जुड़े हुए है। उनके आते ही कांगेस विधानसभा का चुनाव पराजय का सामना करना पड़ा। सोचने वाली बात है और बड़ी विडम्बना है कि, इतनी बड़ी पराजय दोनों विधानसभा के अध्यक्ष उस पद को कैसे संभाले हुए है ? या तो लालच वश या सम्मान वश। अभी लोकसभा चुनाव भी सामने आ चुका है। पूर्व संसद चुनाव लड़ने की तैयारी जोश में है। अब देखना यह है कि, कोरिया एमसीबी से संसद व विधायकों के कार्यों का कितना असर पड़ेगा और दोनों अध्यक्षकों का कितना प्रभावशाली होगा। पूर्व के जिलाध्यक्ष दोनोें विधानसभा को देखते थे। उनके समय में भी इतनी बड़ी हार नहीं हुई। अब यह देखना है कि, दोनों विधानसभा के अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी को कितनी सफलता दिलवा पायेगी। क्योंकि ऐसे अध्यक्षकों को पद दिया गया है जो कि सभी जनता भली-भांती जानती है। इसमें क्या, क्यूं का कोई फर्क नहीं पड़ता है। कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि, कोरबा लोकसभा से भाजपा की संसद पद पर चुनाव लड़ने आ रही है। वह पैराशूट बताया जा रहा है। सोचने वाली बात है कि, माननीय मोदी जी काशी से चुनाव लड़ने गये, राहूल गांधी अमेटी और दक्षिण भारत से चुनाव लड़े, पूर्व विधायक बैकुण्ठपुर से चुनाव लड़े। यह सभी पैराशूट हुए। ऐसे उदाहरण सैकड़ो दिए जा सकते है। जनता को गुमराह करने का एक मैन रास्ता है। अब देखना यह है कि, अध्यक्ष समझदार होते तो विधानसभा की हार में ही इनको त्याग पत्र दे देना चाहिए था। इससे साबित होता है कि, लोलुपता पद है इसलिए पद नहीं छोड़ा गया। अभी और देखना बाकी है कि, इनका कितना परिश्रम व कितना प्रभाव जनता के ऊपर जा सकता है। कोरिया और एमसीबी अलग-अलग जिले हो चुके है। जिला बनने का कोई भी किसी प्रकार का विधानसभा चुनाव में फर्क नहीं पड़ा। इसी तरह पूर्व में लोकसभा चुनाव कांग्रेस को कितनी लाभ मिली और कितना नुकसान हुआ। कांग्रेस के समय में जिला बनाया गया। अब उस जिले का कितना प्रभावशाली लोकसभा चुनाव को दर्शायेगा और कितना विधानसभा अध्यक्ष, लोकसभा अध्यक्ष व संसद के द्वारा कोरिया व एमसीबी को कितनी सहानुभूति दिखाया है। जनता उसका फैसला करेगी। विधायकों ने व संसद महोदया ने कोरिया और एमसीबी में बहुत अच्छे-अच्छे कार्य किये है इस मामले को लेकर लोगो में चर्चाऐं है। परंतु अब जनता से उस अच्छे कार्यो को लेकर कितना सहयोग मिलेगा।