बैकुण्ठपुर जिला मुख्यालय में पोस्ट आॅफिस नाम को है पर काम को नहीं। पोस्ट आॅफिस में कर्मचारियों का हाल यह है कि, सुबह 11 बजे से पहले नहीं आते है और 11 बजे के बाद में जो लंच की छुट्टी लेते है वह 2-2 घण्टे का होता है। जो कर्मचारी परमानेंट हो गये है उनको बोलने का तरीका भी नही है कि, जनता से कैसी बात किया जाये। यहां तक की पोस्ट आॅफिस में टिकट भी नहीं मिलती है। पोस्ट आॅफिस में लोगों के साथ अभद्र व्यवहार के साथ बात किया जाता है। इस प्रकार के कृत्यों से जनता क्षुब्ध है। क्योंकि उनको कोई मतलब नहीं है कि, जनता का काम हो या न हो। वह परमानंेट हो चुके है। अब उन्हें किसी से भी डर नहीं है। 3 रजिस्ट्री पर 130 रूपये कैसे लिया गया है ? इसकी पर्ची उपलब्ध है। पोस्ट मास्टर भी कान से सुनते नही है। पोस्ट आॅफिस निरिक्षक भी नदारद रहते है। आम जनता की समस्या को कौन सुनेगा ? पूछने पर पता चलता है कि, जनकपुर गये है या चिरमिरी गये है हमेशा फिल्ड में रहते है। भारत सरकार ने पोस्ट आॅफिस निरिक्षक को व्यवस्था के लिए रखा गया है न की टाईम पास के लिए। इस संबंध में कोरिया के कर्मचारियों की स्थिति को देखते हुए प्रधान डाक घर अधीक्षक को भेजी गयी है। एम.सी.बी. और कोरिया क्षेत्र में देखा जाये तो पोस्ट आॅफिस की स्थिति बिगड़ी हुई है। क्या भारत सरकार पोस्ट आॅफिस की व्यवस्था सुधार पायेगी या नहीं ? आज पोस्ट आॅफिस की स्थिति देखते हुए कोरिया सर्विस पैदा हो गयी है। जो कि लूठ व्यापार बनाये हुए है। आप एक 10 ग्राम का कागज भेंजेंग तो 50 रूपये लेते है और 2 ग्राम का कागज भेजेंगे तो भी 50 रूपये लेते है। क्या भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उनको लूठने का साधन दिया गया है या आम जनता की सेवा के लिए ? परंतु इन लोगों ने तो अति कर दिया है। पर क्या करें मजबूर है ? पोस्ट आॅफिस के लापरवाही के कारण डाक कोरिया सर्विस की संस्था बले-बले हो चुकी है। क्योंकि मोदी जी का भी सोच है। जब सभी शासकीय संस्था प्राईवेट को दे देंगे तो यह हराम खोरी कम हो सकती है।