जिला जेल बैकुण्ठपुर में सूत्रों के द्वारा जानकारी प्राप्त हुआ है कि, किसी व्यक्ति का सजा आपदा को रोकने में जेल अधीक्षक का कितना लाभ है। बैकुण्ठपुर जेल में रहकर अपराधी फिल्मी स्टाइल में खेल, खेल रहे है। सूत्र बताते है कि, बैकुण्ठपुर स्वास्थ्य विभाग को दवाई का बिल लगभग 25 लाख का कैसे कटा। जबकि दूकानदार जेल में है और बिल कट गया। इसमें जेलर की सांठ-गांठ है या तो फर्जी बिलों का हस्ताक्षर किये गये है। मेडिकल स्टोर के संचालक को न्यायलय द्वारा 10 वर्ष की सजा हो चुकी है। परंतु अपराधी को बैकुण्ठपुर जेल में रोकने का क्या तात्पर्य है। इससे पता चलता है कि, अपराधी से जेलर का तालमेल है। जेल डाॅक्टर अपराधियों से संलिप्त होकर उनके फेवर में रिपोर्ट लिखता है। जिससे अपराधि को स्वास्थ्य लाभ के लिए हाॅस्पिटल में ऐडमिट किया जाता है। जिससे डाॅक्टर जेल से लम्बी कमाई का आधार बना लिया है? एक गार्ड का बहाना लगाकर अपराधी को ले जाने के लिए व्यवस्था नहीं बना है। यह एक फाॅर्मेलिटी बतायी जा रही है। सूत्रों की माने तो बैकुण्ठपुर जेल किस महिला के इसारे पर चल रहा है। जब किसी से मिलने जाते है तो वह कौन सी महिला है जो कि मिलने की अनुमति देती है। क्योंकि मिलने वालों से महिला कुछ पैसे की मांग रखती है या कोई व्यवहार मिलाती है। गेट पर हवलदार व आरक्षक का भी आम जनता जो मिलने आते है उनसे दूरव्यवहार किया जाता है। अपराधियों के खाने का सामान कौन-कौन ले जाता है। यह भी एक चर्चा का विषय है। जेल, जेल नहीं रहा अपराधियों ने अपना रेस्ट हाउस बना लिया है। जेल में सिगरेट, शराब और भी अन्य सामान किसके दिशा निर्देश में अंदर जाता है। इस संबंध में अधीक्षक को पता है या नहीं ? और किसकी सय पर खेल हो रहा है । छत्तीसगढ़ शासन ऐसे जेल की कार्यवाही करेगी या नहीं।