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आदिवासी महिलाएं पलास, गेंदा के साथ-साथ पालक, गाजर और लाल भाजी से बना रहीं हर्बल गुलाल….

ग्राम आलोर की मां शीतला स्व-सहायता समूह की आदिवासी महिलाएं पिछले तीन वर्षो से सब्जियों से हर्बल गुलाल तैयार कर रही है.

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कोंडागांव। ग्राम आलोर की मां शीतला स्व-सहायता समूह की आदिवासी महिलाएं पिछले तीन वर्षो से सब्जियों से हर्बल गुलाल तैयार कर रही है. घर और खेती के काम से बचने वाले समय में समूह की महिलाएं गुलाल बनाने का काम करती हैं.

सब्जियों का उपयोग अब खाने के साथ चेहरे पर लगाने के लिए भी हो रहा है. पालक, गाजर, लाल भाजी जैसी सब्जियों का इस्तेमाल आदिवासी महिलाएं हर्बल गुलाल बनाने के लिए कर रही हैं.

समूह की महिलाएं सुशीला, सुमीत्रा, शियाबती, हेमबती, संगीता, विमला ने बताया कि हर्बल गुलाल बनाने के लिए पहले लाल भाजी को उबालते हैं. फिर उसके कलर से अरारोट को मिलाते है. इसे सुखाने के बाद पाउडर तैयार कर छन्नी से छान लेते हैं. ऐसा ही पालक, गाजर और पलास के फूलों के जरिए हर्बल गुलाल बनाया जाता है. इन्होंने यह तरीका कृषि विज्ञान केन्द्र, कोंडागांव से सिखा है.

स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल गुलाल की बिक्री के लिए कलेक्टोरेट परिसर में स्टॉल लगाया हुआ है. आधा किलो का पैकट 100 रुपए और एक पाव का पैकेट पचास रूपए में बेच रही हैं. इसे लोग हाथों-हाथ ले रहे हैं. इन महिलाओं ने वर्ष 2020 में 40 हजार का तो 2022 में 38 हजार का गुलाल बेचा था.

समूह की महिलाओं का कहना था हम मात्र सब्जियों से गुलाल बनाते हैं, और इसके अलावा कोई कार्य नहीं करती. अब हम इसे लघु उ़द्योग बनाकर साल भर गुलाल बनाने का कोशिश करेंगी, जिससे हमारा गुलाल स्थानीय स्तर ही नहीं पूरे प्रदेश में बिक्री के लिए उपलब्ध हो सके.

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