महासमुंद। बाजार में अब केमिकल युक्त गुलाल का क्रेज खत्म हो रहा है। अक्सर लोग होली के त्यौहार में त्वचा में गुलाल लगने से बीमारियों का शिकार हो जाते थे। लेकिन अब बाजारों में केमिकल युक्त गुलाल आने लगे है, जिससे लोगों के त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता। ऐसे में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) केमिकल युक्त गुलाल बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस बार होली में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बाजारों में साग भाजी, हल्दी एवं पलाश के फूलों से बने गुलाल की बयार होगी। इसके लिए जिले की स्व सहायता महिला समूह की महिलाएं साग भांजी से हर्बल गुलाल बनाकर स्वावलंबी बन रही है और लोगों को केमिकल युक्त गुलाल से भी छुटकारा दिला रही है।
जिले के बागबाहरा विकास खंड के ग्राम डोकरपाली की 11 महिलाओं ने दो वर्ष पूर्व एक समूह बनाया। जिसका नाम रखा जय माता दी स्व सहायता समूह। शुरू में ये महिलाएं दस-दस रुपये जमा किये, फिर बाद में बीस-बीस रुपये और अब सौ-सौ रुपये प्रति माह जमा करती है। उसके बाद इन महिलाओं को बिहान कार्यक्रम के माध्यम से गुलाल बनाने का प्रशिक्षण मिला। तब से ये महिलाये पालक भाजी, लाल भाजी, सेम का पत्ता, कुम्हडा का पत्ता, हल्दी, पलाश के फूल, अरारोट, गुलाब जल मिलाकर गुलाल बनाती है। जिसकी डिमांड साल दर साल बढ़ती जा रही है।
पहले इन महिलाओं ने 15 किलो गुलाल बनाया। जिसके बाद दूसरे साल 60 किलो गुलाल बनाई और अब इस साल इन्हे 200 किलो गुलाल बनाने का आर्डर मिला है। ये महिलाएं लाल रंग के गुलाल के लिए लाल भाजी, हरे रंग के गुलाल के लिए पालक भाजी, पीले रंग के गुलाल के लिए हल्दी एवं नारंगी रंग के गुलाल के लिए पलाश के फूल का इस्तेमाल करती है। सबसे पहले भाजी,पलाश के फूल को पानी मे डालकर गर्म करती है फिर उसके पानी को छानकर अरारोट मे मिला देती है। जिससे उस रंग का गुलाल तैयार हो जाता है।
स्व सहायता समूह की महिलाएं सौ-सौ ग्राम का पैकेट तैयार करती है। जिसे दस रुपये में बेचती है। इन महिलाओं को एक किलो गुलाल तैयार करने मे 50 रुपये की लागत आती है जिसे ये सौ रुपये प्रति किलो के दर पर बेचती है। जय माता दी स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि हमारे द्वारा तैयार किये गुलाल से कोई साइट इफेक्ट नहीं होता है। साथ ही आर्थिक रुप से कमजोर महिलाओं को स्व सहायता समूह बनाकर स्वावलंबी बनने की नसीहत भी दे रही है।
इस गुलाल के उत्पादन को लेकर बिहान योजना ब्लाक प्रभारी तुलेश्वरी साहू का कहना है कि इनके द्वारा तैयार गुलाल को शासकीय विभाग व अन्य बाजारों के साथ सी मार्ट में भी बिक्री के लिए रखा गया है।
इस पूरे संदर्भ मे कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर का कहना है कि जिले में हजारों स्व सहायता महिला समूह है जो अलग-अलग क्षेत्र में कार्य करके स्वावलंबी बन रही है। इसी प्रकार ये महिलाएं भी हर्बल गुलाल बनाकर स्वावलंबी बन रही है। जो एक अच्छा प्रयास है।
गौरतलब है कि ये महिलाये गुलाल बनाने के अलावा बैंक से एक लाख रुपये का ऋण लेकर टेंट हाउस भी संचालित करती है। और उनसे हुए मुनाफे को बैंक में जमा करती है। जब इन 11 महिलाओं में से किसी को आवश्यकता होती है तो ये उस पैसे को दो प्रतिशत के ब्याज दर पर लेकर इस्तेमाल करती है। फिर उसे जमा कर देती है। ये महिलाये प्रति माह पांच हजार रुपये बैंक का किस्त देती है।