परिवहन विभाग और यातायात पुलिस नियमानुसार जांच व जुर्माना करेंगे, तभी इस तरह के वाहनों पर अंकुश लगेगा और लोग सुरक्षित सड़क पर आवागमन कर सकते हैं।
बिलासपुर। बिलासपुर के अंदर और यहां से निकलने वाले किसी भी मुख्य मार्ग पर चले जाइए, अधिकांश वाहनों में रिफ्लेक्टर तक नहीं लगे हैं। इन्हीं वजहों से लगातार हादसे भी हो रहे हैं। सबसे विडंबना की बात ये है कि इन उल्लंघनों को रोकने की जिन दो विभागों पर जिम्मेदारी है, वे नियमित जांच ही नहीं करते। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस नियमानुसार जांच व जुर्माना करेंगे, तभी इस तरह के वाहनों पर अंकुश लगेगा और लोग सुरक्षित सड़क पर आवागमन कर सकते हैं।
वाहनों के परिचालन को लेकर नियम-कायदे बनाए गए हैं। वाहन चाहे जो भी हो, चालकों को बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए। पर नियमित जांच नहीं होने के कारण कार्रवाई का भी खौफ नहीं रहता। रायपुर , रतनपुर, जांजगीर-चांपा या कोरबा इनमें से किसी मार्ग पर चले जाइए। हर दो किमी पर ऐसे भारी वाहन खड़े नजर आ जाएंगे, जिनमें न तो रिफ्लेक्टर लगा है और बैक लाइट। हाईटेक बस स्टैंड से लेकर बिल्हा मोड तक दांये व बांये दोनों तरफ पांच ट्रकें खड़े थे।
सड़क किनारे खड़े इन वाहनों में न तो पीछे वाहन को संकेत देने के लिए बैक लाइट जलाई थी और न इंडीकेटर। इनमें रिफ्लेक्टर भी नहीं लगा था। अंधेरे के कारण वाहन नजर ही नहीं आ रहे थे। यही स्थिति बसों की है। मंगला चौक पर चार बसें खड़ी थीं। इनकी हालत भी बेहद जर्जर थी। विभाग की इन्हीं अनदेखी की वजह से ऐसे वाहन बेधड़क सड़क पर दौड़ रहे हैं।
ये है जुर्माने का प्रविधान
परिवहन विभाग के अनुसार यदि जांच के दौरान कोई वाहन अनफिट मिलता है तो चालक पर धारा 56 व 192 के तहत अपराध दर्ज होता है। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद चालक के खिलाफ जुर्माना करने का नियम है। यह पहली बार है। जुर्माने के बाद चालक को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। वहीं जिस उल्लंघन करते पकड़े गए हैं, यदि उसी समय ठोस कार्रवाई हो जाएगी तो शायद चालक दोबारा गलती करने से पहले सोचेगा।
सबसे बड़ी लापरवाही, जिसे किया जाता है नजरअंदाज
परिवहन विभाग में ट्रैक्टर के दो तरह से रजिस्ट्रेशन होते हैं। एक कृषि और दूसरा कमर्शियल। कृषि कार्य के लिए रजिस्ट्रेशन कराने पर टैक्स में छूट है। जबकि वाहनों का कमर्शियल उपयोग करने पर टैक्स लेने का प्रविधान है। लेकिन, अधिकांश ट्रैक्टर मालिक कृषि कार्य बताकर रजिस्ट्रेशन कराते हैं।इन ट्रैक्टरों में ईंट, गिट्टी, रेत आदि निर्माण सामग्रियों का परिवहन किया जाता है। पूर्व में इस तरह एक या दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में मामले सामने आ चुके हैं।
इसलिए जरूरी है फिटनेस प्रमाण पत्र
परिवहन विभाग की टीम वाहनों की फिटनेस जांच के दौरान रिफ्लेक्टर, लाइट, संकेतक, वाइपर, डाले की ऊंचाई और वाहनों का एयर फिल्टर, साथ ही एजेंसी द्वारा निर्मित वाहनों से छेड़छाड, हार्न, टायर सभी की बारीकी से जांच करती है। इसके अलावा वाहन की आयु भी देखी जाती है। कई लोग ऐसे वाहनों को चलाते हैं, जिनकी अवधि समाप्त हो गई है।
अनफिट व ओवरलोड वाहनों पर अंकुश लगाने परिवहन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। नियमानुसार तय अवधि में फिटनेस की जांच करानी है। लेकिन, अनफिट होने के कारण वाहनों को कार्यालय लेकर नहीं आते। ऐसा कई बार हुआ है। जांच के दौरान ऐसे वाहन पकड़े जाने पर वाहन जब्ती से लेकर जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।
अमित बेक
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, बिलासपुर