रवि शर्मा
सार्वजनिक व्हाट्सएप ग्रुप में दे रही धमकी
सोनहत- इन दिनों ग्रामपंचायत सोनहत में मनरेगा योजना के तहत हितग्राही के नाम पर बनी डबरी चर्चा का विषय बनी हुई है जिसकी खबर विगत 28 अगस्त को ग्लोबल न्यूज 18 वेब पोर्टल पर संवाददाता द्वारा लगाई गई थी खबर चलने के बाद जिला पंचायत सदस्या ने सार्वजनिक व्हाट्सएप ग्रुप में पहले डबरी के स्वंय के पट्टे की भूमि में होने के हवाला देकर काफ़ी सफाई दी बाहरहाल कल दिनाँक को जब संवाददाता के साथ क्षेत्र के हल्का पटवारी द्वारा डबरी निर्माण स्थल का मौखिक मुआयना किया गया तो उन्होंने पाया कि जिस जगह पर डबरी बनी हुई है वो स्थान वनपरिक्षेत्र सोनहत के अंतर्गत आता है हालांकि पटवारी द्वारा इसकी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं कि गई क्योंकि जाँच हेतु कोई लिखित आवेदन उनके पास नहीं था लेकिन इस बात का मौखिक प्रमाण जरूर दिया कि डबरी का निर्माण राजस्व भुमि पर नहीं किया गया है जो कि अवैध है और यदि जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा सही जाँच की जाए तो निर्माण एजेंसी पर सख्त कार्रवाई हो सकती है और संबंधित तकनीकी सहायक तथा रोजगार सहायक की नौकरी भी जा सकती है और जब ये सच सामने आया तो क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्या भड़क उठी और सार्वजनिक व्हाट्सएप ग्रुप में समाचार चलाने वाले संवाददाता को बुरा भला कहने लगी एफआईआर कराने की धमकी देने लगीं उन्होंने लिखा कि अपने बारे में भी सच्चाई लिखो इस पर संवाददाता ने जवाब में लिखा कि आप ही हमारी सच्चाई से अवगत कराएं तो और भड़कते हुए लिखा कि एक दो हो तो बताएं केवल आप लोगों को डबरी निर्माण ही दिखता है और कुछ नहीं वैसे उनका भड़कना भी जायज है क्योंकि जिस हितग्राही के नाम पर डबरी का अवैध निर्माण वनभूमि पर हुआ है वो महोदया के
सगे रिश्तेदार हैं डबरी निर्माण के बहाने वनभूमि कब्जा करने का नया तरीका है क्योंकि शासन के नियमानुसार मनरेगा योजना के तहत हितग्राही मूलक कार्य सिर्फ हितग्राही के पट्टे की भूमि में ही कराए जाने का प्रावधान है शासकीय भुमि अथवा वनभूमि पर नहीं और कराए जाने वाले कार्य का शासन के नुमाइंदों के द्वारा बकायदा जियो टैग किया जाता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और यदि नियम विरुद्ध कार्य कराए जाते हैं तो जिम्मेदार लोगों से वसूली व सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है लेकिन ये मामला जिला पंचायत सदस्या के घर का था शायद इसलिए कर्मचारियों ने आँख बंद करके नियम विरुद्ध निर्माण करा दिया बहरहाल मामले के सामने आने के बाद महोदया संवाददाता पर काफ़ी भड़की हुई हैं और एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दे रही हैं सम्भव है ऐसा भी हो जाये क्योंकि सत्ता शासन इनके हाथों में है लेकिन एक सवाल है कि जब जनता के चुने हुए जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ही ऐसा करेंगे तो जनता का भला कैसे होगा अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जाँच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है अथवा खबर के जरिए सच्चाई सामने लाने वाले पत्रकार को ही जेल भेज देता है