रवि शर्मा
भरतपुर (राँपा)- कोरिया जिला के विकासखंड भरतपुर का मामला जहां भूमिहीन किसान के 40 वर्षों से काबिज जमीन पर ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम पंचायत भवन बनवा दिया गया जबकि ग्राम पंचायत भवन के लिए अन्य स्थल पहले कहीं और प्रस्तावित था. जहां प्रार्थी ने जनकपुर तहसील से लेकर जिला कलेक्टर तक का दरवाजा खटखटाया की भूमिहीन किसान की जमीन पर ग्राम पंचायत ना बनवाया जाए. मगर जब किसी अधिकारी के द्वारा किसान की बातें नहीं सुनी गई तो मजबूरन भूमिहीन किसान को उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ का दरवाजा खटखटाया पड़ा जहां माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ द्वारा
WP(C)NO.420/2021 मैं पारित आदेश दिनांक 3 मार्च 2022 को आदेश किया गया कि लक्ष्मीकांत तिवारी अन्य विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन व अन्य के संबंध में पारित निर्णय के परिपालन में सहानुभूति पूर्वक करते हुए विधिवत पट्टा प्रदान किए जाने एवं ग्राम पंचायत भवन के निर्माण हेतु स्थल परिवर्तन करने की बात कही गई. मगर 5 महीने बीत जाने के बावजूद भी भूमिहीन किसान दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर है. जबकि संयुक्त कलेक्टर कोरिया के द्वारा दिनांक 11 अप्रैल 2022 को अनुविभागीय अधिकारी भरतपुर को लिखित आदेश किया गया है कि पीड़ित को पट्टा प्रदान किया जाए और ग्राम पंचायत भवन का स्थान परिवर्तन किया जाए. कोर्ट के आदेश की कॉपी देखें
विगत 40 वर्षों से रह रहे काबिल जमीन को ग्राम पंचायत के द्वारा विकास कार्य के नाम पर भूमिहीन किसान परिवारों के कब्जे की जमीन पर ग्राम पंचायत रापा के द्वारा गौठान और चारागाह और पंचायत भवन निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार हल्का पटवारी श्री देवेंद्र सिंह ने विगत कुछ महीने पहले ही गौठान और चारागाह के लिए खसरा नंबर 9 की भूमि आरक्षित की थी जो कहीं और है और गौठान चारागाह का निर्माण कार्य कहीं और कराया जा रहा है।
जहां पीड़ित किसान लक्ष्मीकांत तिवारी ने बताया कि मैं अपने भाईयों के साथ ग्राम रापा के खसरा क्रमांक 166,167,168,169 में घर खेत कुआं,खेत बाडी बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे मगर उक्त जमीन पर ग्राम पंचायत रांपा के सरपंच द्वारा गौठान एवं चरागाह और पंचायत भवन निर्माण कार्य चालू करा दिया गया है।
हम आपको बता दें कि संबंधित जमीन के हल्का पटवारी ने बताया कि खसरा क्रमांक 9 का प्रस्ताव ग्राम पंचायत रांपा में गौठान और चरागाह के लिए दिया गया था। मगर आपसी रंजिश के चलते रापा के सरपंच के द्वारा गौठान और चरागाह निर्माण कार्य को पीड़ित के जमीन पर कराया गया है. मगर हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी भूमिहीन किसान को किसी प्रकार से राहत नहीं मिल रही है जिससे भूमिहीन किसान को अपने परिवार का भरण पोषण करने में कई प्रकार की कठिनाई आ रही है.