रायपुर । छठ महापर्व के चौथे दिन गुरुवार को ब्रम्ह मुहूर्त से ही खारुन नदी तट समेत अन्य तालाब में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। विधिवत पूजा करके सबकी नजरें सूर्यदेव के उदय होने पर लगी रही। जैसे ही सूर्य की लालिमा फैलती दिखाई दी, वैसे ही एक साथ हजारों लोगों ने जल और फल से अर्घ्य देने की परंपरा निभाई। श्रद्धा भक्ति से भगवान सूर्यदेव और छठी मइया के जयकारे गूंज उठे। पूरे परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। अर्घ्य के बाद व्रती महिलाओं ने छठी मइया को अर्पित किए गए भोग का प्रसाद ग्रहण कर 36 घन्टे से भी अधिक समय से करतीं आ रहीं निर्जला व्रत का पारणा किया। अपने रिश्तेदारों, परिचितों के घर प्रसाद का वितरण किया। व्रत, का पारणा करने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हुआ।
छठ महापर्व समिति महादेवघाट के संयोजक ने बताया कि घाट के किनारे ही महाभण्डारे की व्यवस्था की गई है। व्रत करने वालों के स्वजन, आम लोगों के लिए भंडारा में प्रसादी वितरित की जा रही है। चार दिवसीय आयोजन की शुरुआत 8 नवंबर को नहाए खाए परंपरा निभाकर हुई थी। पहले दिन दिन स्नान करने शाम को लौकी की सब्जी , चावल का प्रसाद ग्रहण किया था। इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना यानी खीर रोटी खाकर निर्जला व्रत रखने का संकल्प लिया गया था। 10 नवंबर की शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया। चौथे दिन 11 नवंबर को सूर्योदय पर अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन हुआ।