रायपुर । महंगी बिजली, महंगा कोयले के साथ अनुपलब्धता और बीएसपी से कच्चा माल नहीं मिलने के कारण इन दिनों प्रदेश की 180 से अधिक रोलिंग मिलों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। रोलिंग मिल संचालकों का कहना है कि अगर दिवाली तक उनकी मांग मानी नहीं गई तो उन्हें मजबूरन अपने प्लांटों को बंद कर चाबी शासन को सौंपनी पड़ेगी। प्रदेश भर में करीब 200 रोलिंग मिलें है और अकेले रायपुर में 125 रोलिंग मिलें संचालित है।
छत्तीसगढ़ स्टील रि रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, उपाध्यक्ष संजय त्रिपाठी ने बताया कि रोलिंग मिलों की परेशानियों के संबंध में उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ ही छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग में भी गुहार लगा चुके हैं। इस मामले में बीएसपी के उच्चाधिकारियों को भी चिट्ठी लिखी जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। एसइसीएल से कोयला नहीं मिलने का कारण उद्योगपति इन दिनों इंडोनेशिया ने कोयला मंगा रहे प्रत्येक रोलिंग मिल को करीब 10 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उद्योगपतियों का कहना है कि बीते माह में कोयले के दाम छह हजार रुपये से बढ़कर 16 हजार रुपये हो गए है। इसके साथ ही उन्हें एसइसीएल से कोयला नहीं मिल पा रहा है। बिजली की दरें रोलिंग मिलों के लिए सबसे अधिक 8.50 से नौ रुपये प्रति यूनिट है। जबकि प्रदेश के अन्य बड़ेस्टील उद्योगों की बिजली की दरें 5.50 से 6.50 रुपये प्रति यूनिट है। इस प्रकार रोलिंग मिलों की दरें 3से 3.50 रुपये अधिक है। रोलिंग मिल संचालकों का कहना है कि बीएसपी से इन दिनों कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है। अगर मिल भी रहा है तो वह 20 फीसद तक सिमट गया है।
कोयले की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के लिए एक नोडल एजेंसी बनाया जाना चाहिए। पांच साल पहले यह व्यवस्था थी,लेकिन बीते तीन सालों से बंद हो गई है। रोलिंग मिल संचालकों का कहना है कि उन्हें भी अन्य उद्योगों की तरह बिजली की दरें प्रति यूनिट 5.50 रुपये प्रति यूनिट से 6.50 रुपये प्रति यूनिट मिलनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ स्टील रि रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने बताया कि रोलिंग मिल रोजगार देने के मामले में अव्वल है। प्रदेश भर की करीब 200 रोलिंग मिलों से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से दो लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। अगर रोलिंग मिलें बंद होती हैं, तो इनका रोजगार भी छिन जाएगा।