Home छत्तीसगढ़ ✍ कोहरा पडने से आलू की फसल चौपट ………

✍ कोहरा पडने से आलू की फसल चौपट ………

लगातार पाला गिरने से आलू की फसल प्रभावित

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बिलासपुर। सरगुजा जिले में मैदानी इलाकों में लगी करीब दो हजार एकड़ की आलू फसल पर पखवाड़े भर से कोहरा छाने और तीन दिन लगातार पाला गिरने से आलू की फसल प्रभावित हो गई है। लगातार कोहरे की चपेट में आने के कारण आलू की फसल में झुलसा का प्रकोप लग चुका है। झुलसा लग जाने के कारण भारी नुकसान पहुंचा है। आलू की फसल पूरी तरह झुलस चुकी है, हरियाली गायब हो गई है ऐसे में कंद बनना अब मुश्किल है। किसानों को इस विपरीत मौसम ने नुकसान पहुंचाया है। जिले के मैदानी इलाके में नवंबर-दिसंबर माह में आलू की फसल बड़े पैमाने पर लगी होती है। इस बार महंगे आलू बीज के बावजूद किसानों ने आलू की खेती की है।

जिले के मैदानी क्षेत्रों में आलू का जबरदस्त उत्पादन के कारण सब्जियों में प्रमुख स्थान रखने वाले आलू के दाम में स्थिरता रहती है। लाकडाउन के कारण आलू की आवक कम हुई और खपत अधिक होने के कारण लगातार 40 रुपये किलो तक आलू बीज बिका। अब सरगुजा में नया आलू उत्पादन होने के बाद बाजार में पहुंचा तो दाम में थोड़ी गिरावट आई नए आलू की मांग बढ़ी है और पुराने आलू की कीमत अपने आप 25 से 30 रुपये किलो हो गई। सरगुजा जिले में बड़े पैमाने पर आलू के उत्पादन के कारण ही लगभग पांच माह तक दाम में स्थिरता रहती है किंतु इस बार बीज की महंगाई के कारण रकबा भी घट गया और अचानक मौसम में आए बदलाव के कारण आलू की फसल प्रभावित हो गई।

मैदानी क्षेत्र में पखवाड़े भर से ठंड बढ़ी है और लगातार तीन दिन पाला भी गिरा। पाले के असर के साथ लगातार कोहरा गिरने और दोपहर 12 बजे तक धुंध छाने का असर भी सीधे आलू पर पड़ा है। कृषि वैज्ञानिकों ने मौके पर किसानों को समसामयिक सलाह भी दी थी कि आलू के खेत में नमी बनाए रखें और आसपास खरपतवार जलाकर धुआं कर दें। किसानों ने यह सभी उपाय भी किए पर जिले में अधिकांश किसानों के खेतों में आलू की फसल चौपट हो गई है। किसानों के मुताबिक इसमें अब कंद लग पाना मुश्किल है क्योंकि जब तक आलू की फसल में हरियाली रहती है तभी कंद भी अच्छा बनता है। पूरी तरह झुलस जाने के बाद कंद नहीं बैठता और भारी नुकसान पहुंचता है।

इस बार लाकडाउन के दौरान हरी साग सब्जियों की कमी आई तो हर घर में आलू ने जगह बना लिया। बड़े पैमाने पर लोगों ने आलू खरीदा और उसका उपयोग भी किया। ऐसी स्थिति में बीज के लिए आने वाले आलू का उपयोग भी खाने में कर दिया गया। आवक भी कानपुर और अन्य स्थानों से कम हो गई। ऐसे में व्यापारियों ने सीधे आलू बीज की कीमत ही बढ़ा दी। इस बार किसानों को 17 से 20 रुपये किलो मिलने वाला आलू बीज सीधे 40 रुपये प्रति किलो खरीद कर लगाना पड़ा। महंगे बीज लगाने के बाद किसानों को अच्छे उत्पादन की उम्मीद थी पर कोहरा और पाले ने आलू की फसल को चौपट कर दिया जिससे किसानों को दोहरा नुकसान हुआ है

राज मोहनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के अधिष्ठाता डॉ वीके सिंह ने बताया कि दिसंबर माह में हर बार सरगुजा में पाला और कोहरे का असर पड़ता है। पाला और कोहरे का प्रभाव सबसे अधिक आलू और टमाटर की फसल में पड़ता है। किसानों को समसामयिक सलाह हम देते हैं पर बड़े पैमाने पर जो किसान खेत खेती करते हैं, वहां धुआं करना और तत्काल सिंचाई करना भी आसान नहीं होता। है ना कि सिंचाई करने से नमी बनाए रखने से आलू की फसल बच जाती है पर सरगुजा में देखा जा रहा है कि किसान अपनी फसल कोहरे और पहले से नहीं बचा पाए। इससे अब सीधा नुकसान होगा, आलू में कंद कम बनेंगे।

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