रायपुर। छत्तीसगढ़ में बरसों से निवासरत बिहार, झारखंड के मूल निवासियों ने बिहार में मनाए जाने वाले प्रमुख छठ महापूजा पर्व पर शाम को सूर्यदेव को अर्घ्य देने से पहले नदी, तालाबों के किनारों को चकाचक कर दिया है। परिजन शुक्रवार की सुबह तालाब, नदी के किनारों पर पूजा के लिए पहले से जगह घेरकर वहां पूजा वेदी सजा दी है। इस साल कोरोना महामारी के चलते व्रती के साथ पूरे परिवार के लोग नहीं पहुचेंगे। व्रती को पूजा में सहयोग करने के लिए सिर्फ एक सदस्य ही साथ रहेगा।
छठ महापर्व समिति महादेव घाट के राजेश सिंह ने बताया कि शाम को अर्घ्य देने से पहले की सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। समिति ने पहले ही अपील कर दी है कि लोग अपने घर पर पूजा करके छोटे जलाशय बनाकर अर्घ्य दें। इसके बाद भी यदि श्रद्धालु आते हैं, तो उनके लिए मास्क की व्यवस्था की गई है। हर बार काफी भीड़ होने से पास-पास ही पूजा वेदियां बनती थी। इस बार तीन चार मीटर से अधिक दूरी पर वेदियां भक्तों ने बनाई है, ताकि शारीरिक दूरी बनी रहे। छठ महापूजा रखने वाले परिवारों में श्रद्धा-उल्लास का माहौल दिखाई दे रहा है।
महादेव घाट में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए समिति के सदस्य निगरानी रखेंगे, ताकि कोई नदी के भीतर दूर तक ना जा सके। व्रतियों के साथ आने वाले परिजन नदी में दूर तक चले जाते हैं, इसलिए किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए गोताखोर भी नियुक्त किए गए हैं। व्रतधारी महिलाएं आज शुक्रवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर रातभर भजन कीर्तन में रमी रहेंगी। शनिवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करके गुरुवार की रात से शुरू हुए निर्जला व्रत का पारणा करेंगी।
खारुन नदी के महादेवघाट, समता कालोनी के आमा तालाब, बिरगांव के व्यास तालाब, गुढ़ियारी के मच्छी तालाब, हीरापुर के टेंगना तालाब, टिकरापारा के नरैया तालाब समेत अनेक इलाकों में वेदियां सजाई जा चुकी हैं। बस शाम को सूर्य के अस्त होने का भक्तों को इंतजार है। उस दौरान अर्घ्य देकर भगवान सूर्यदेव और छठ मैय्या से पूरे परिवार की खुशहाली की कामना करेंगी। शनिवार सुबह ब्रह्म मुहूूर्त से ही सभी की नजरें सूर्योदय होने की ओर लगी रहेंगी। जैसे ही सूर्योदय होगा, वैसे ही एक साथ हजारों लोग कमर तक पानी में खड़े रहकर अर्ध्य देंगे। इसके बाद महिलाएं घर लौटकर प्रसाद ग्रहण करके 40 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ेंगी। इसके बाद परिचितों- रिश्तेदारों को फल और व्यंजन प्रसाद के तौर पर वितरित करने का सिलसिला चलता रहेगा।