रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा विश्वविद्यालय सुप्रीम कोर्ट से मान्यता समाप्त हो चुकी द स्टेट इंस्टिट्यूट के 1108 छात्रों को परीक्षा लिए बगैर डिग्री बांटने के आरोप में घिर गया है। शिकायत है कि विवि के पास परीक्षा लेने, प्रश्न पत्र सेट करने और परीक्षा फीस से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है। शिकायत इसी विवि के पूर्व कुलपति डॉ. सुनील कुमार वर्मा ने दस्तावेज समेत राज्यपाल, सरगुजा रेंज आइजी से की थी। मामले में राजभवन ने जांच पूरी कर ली है बताया जाता है कि करीब एक हजार परीक्षार्थियों की डिग्री जांच के दायरे में आ गई है। रिपोर्ट भी राजभवन को सौंप दिया गया है। उन्होंने बताया कि मामले में राजभवन में दो बार जांच कर ली है अब आखिरी फैसला उनको लेना है।
बता दें कि प्रदेश में स्नातक, स्नातकोत्तर विषयों की डिग्रियां बांटने का अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। सरगुजा विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट से मान्यता समाप्त हो चुके द स्टेट इंस्टीट्यूट के 1108 छात्रों को परीक्षा लिए बगैर डिग्री बांट दीं। विवि के पास परीक्षा लेने, प्रश्न पत्र सेट करने और परीक्षा फीस से संबंधित कोई भी दस्तावेज नहीं है। यह शिकायत विवि के पूर्व कुलपति डा. सुनील कुमार वर्मा ने की थी।
बताया जाता है कि सरगुजा विश्वविद्यालय से यह सभी डिग्रियां इंस्टीट्यूट की मान्यता समाप्त होने के सातवें और आठवें साल में जारी की गईं, यानी 2013 और 2014 में। डिग्रियां जारी होने के बाद इंस्टीट्यूट बंद कर दिया गया। इंस्टीट्यूट के पास एमटेक, बीटेक की संबद्धता एआइसीटीइ से थी ही नहीं, तब भी फर्स्ट डिविजन की डिग्री दी गई। संभव है कि इनमें से कई डिग्रीधारी सरकारी, गैर सरकारी एजेंसियों में पदस्थ होंगे, करोड़ों के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे होंगे।
शिकायत के मुताबिक बी. टेक, एम.टेक, एम.फिल फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी, बॉयो टेक्नोलॉजी, एमबीए, एम.एससी., बी.एससी. बी.कॉम, एम. कॉम, एम.ए समेत 72 विषय हैं जिनमें छात्रों को डिग्री दी गईं। तब सरगुजा विवि के पास इन कक्षाओं का सिलेबस था, न अध्यादेश। गौरतलब है कि राज्य गठन के बाद कई विश्वविद्यालय, कॉलेजों की स्थापना हुई। लेकिन बाद में बीजेपी सरकार ने इनमें से लगभग सभी को बंद कर दिया, इन्हीं में से एक है बिलासपुर का स्टेट इंस्टीट्यूट। इसकी मान्यता सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में समाप्त कर दी। इंस्टीट्यूट के पास बिल्डिंग, लैब तक नहीं थी।