कोंडागांव। जिले में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से दशहरा पर्व का आयोजन होता है। कहीं पुतला जलाकर विजयादशमी मनाते हैं तो कहीं रावण का मूर्ति का प्रतीकात्मक वध होता है। इस वर्ष कोविड-19 ने रावण के श्रृंगार और रावण वध को ही छीन लिया है। प्रशासन के आदेश के पश्चात जगह-जगह दशहरा समितियों की बैठक हो रही है जिसमें यह निर्णय लिया जा रहा है कि इस वर्ष दशहरा पर्व सादगी से मनाया जाएगा। भीड़ नहीं जुटेगी।
जिले के कुछ स्थान ऐसे हैं जहां रावण का पुतला दहन करना मना है वहां रावण की मूर्ति बनाई गई है। ग्राम पलना एवं बांसकोट में पुतला दहन नहीं होता। बताया जाता है कि पुतला दहन से दंतेश्वरी माई नाराज होती हैं। यहां वर्षों पूर्व दंतेश्वरी माई के तत्कालीन पुजारी के आदेश पर ही दशहरा पर्व मनाया जा रहा है। वर्षों पुरानी परंपरा आज भी कायम है तथा उसी तरीके से ही दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। चूंकि इस साल कोविड-19 के चलते प्रशासन ने यह आदेश दिया है कि दशहरा पर्व पर भीड़ नहीं जुटनी चाहिए जिसके चलते दशहरा पर्व मनाया नहीं जा सकेगा। जिसे लेकर दशहरा समितियों एवं जनप्रतिनिधियों ने निर्णय लिया है कि दशहरा पर्व के अवसर पर पूजा पाठ होगा किंतु रावण वध नहीं किया जाएगा।
इस वर्ष दशहरा नहीं मनाने पर माई दंतेश्वरी एवं ग्राम देवी के रुष्ट होने की संभावना को देखते हुए गांव में देवी देवताओं को मनाने के लिए बैठक हो रही है। जिसमें देवी को कबूतर की बलि देकर मनाया जाएगा और देवी को यह बताया जाएगा कि कोरोना के चलते प्रशासनिक आदेश एवं कोरोनावायरस संक्रमण के चलते इस साल दशहरा पर्व नहीं मनाया जाएगा। हालांकि पक्षियों की बलि देने की इस परंपरा को बस्तर में रोके जाने की जरूरत है।