छत्तीसगढ़ शासन ने जब से पोर्टल वालों को छूट एवं संरक्षण दिया है तब से पत्रकारों की बाढ़ आ गई है, जब किसी को व्यापार में सफलता नहीं मिलती या कोई काम नहीं मिलता तब पत्रकारिता का लाईन पकड़ लेते हैं, नयी पीढ़ी के पत्रकार तो अधिकारियों पर पत्रकारिता का धौंस भी दिखाते हैं, सोचने वाली बात यह है की पढ़े लिखे अधिकारियों को पत्रकार बने अनपढ़ लोग धमकी तक दे देते हैं और कहते हैं की आप हमको जानते नहीं हैं हमारा संपर्क बड़े बड़े मंत्री मुख्यमंत्री तक है तुम्हारा स्थानांतरण करा देंगे, कुछ लोग तो व्यापार करने के लिए बैंक के कर्जे तक में भी फंसे हुए थे लेकिन व्यापार में सफल न होने पर पत्रकारिता का हांथ थाम लिया और पत्रकारिता के माध्यम से बैंक का कर्जा छूटा गया, अभी हाल ही में एक दैनिक समाचार पत्र में तहसीलदार व जिला सी.ई.ओ एवं जनपद सी.ओ का बड़े पुख्ता ढ़ंग से समाचार प्रकाशित किया गया था जिसको एक नए पीढ़ी के पत्रकार ने अपने निजी स्वार्थ के लिए एक दैनिक समाचार पत्र के समाचार को कटाक्ष कर दिया, जबकी प्रेस की गाइड लाईन में कहीं भी नहीं लिखा है की एक पत्रकार दुसरे पत्रकार को कटाक्ष करे, कटाक्ष करने वाले को इतना भी ज्ञान नहींे है, ऐसा कृत्य पत्रकारिता नहीं चट्टोकारिता की श्रेणी में आता है, कुछ लोग तो अपने निजी स्वार्थ के खातीर आई.जी एवं कोरिया कलेक्टर की झूठी प्रसंसा भी लिखते रहते हैं, आजकल के पत्रकार अपने परिवार को और पत्रकारों को एक संगठन बनाकर कलेक्टर व आधिकारियों पर दबाव बनाए रहते हैं और चंदा वसूलते हैं प्रशासन को ऐसे चंदा प्रसाद पत्रकारों पर विशेष ध्यान देनी चाहिए, और यहाँ तो आधिकारियों से संगठन के नाम पर भी पैसा वसूला गया है प्रशासन को इसकी जाँच करानी चाहिए, पत्रकारिता का स्तर इतना ज्यादा गिर चुका है की पान ठेला, सब्जी वाला, ड्राइवर, होटलवाला, इत्यादि सभी लोग अपना धंधा पानी बंद करके पत्रकारिता में घुस चुके हैं और तो और पत्रकारिता की कमाई को देखकर दो-दो पत्नियां तक रखने लगे हैं और साइकल में चलने वाले लोग कारों को मेंटनेंस कर रहे हैं, कुछ लोग तो ऐसे हैं जो टी.वी चैनल के नाम पर 1 वर्ष में करोड़ो के आसामी तक बन चुके हैं, रायपुर में 50 लाख का मकान एवं बैकुण्ठपुर में 2018 से दर्जनों प्लाट तक खरीदे जा चुके हैं, सोंचने वाली बात है, एन.डी टी.वी चैनल के रवीश कुमार ईमानदारी का चोला पहने हुए हैं और उन्ही का स्टाप रायपुर से करोड़ो का आसामी बन रहे हैं कैसे? वशिष्ठ टाईम्स एन.डी टी.वी को चुनौती देता है कि करोड़ों के आसामी बने अपने सभी स्टापों की चाँच कराएं, करोड़ो के आसामी बने पत्रकार की शादी में रेंजरों व अधिकारियों ने खर्च किया, सोंचने वाली बात यह है कि पण्ंण्े व पण्चण्े के लोगों ने व्यक्ति को भाव दिया है या चैनल को, जाँच का विषय है।
पत्रकारिता बनी सब्जी मंडी…..
पत्रकारिता बनी सब्जी मंडी.....