Home त्यौंहार ✍ कोरोना की वजह से सादगी से मनी कृष्ण जन्माष्टमी ……..

✍ कोरोना की वजह से सादगी से मनी कृष्ण जन्माष्टमी ……..

कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सभी मंदिरों में सीमित दायरे में सादगी पूर्ण तरीके उत्सव मनाया

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रायपुर/ बिलासपुर। हर साल आधी रात को कान्हा के जन्मोत्सव पर सभी मंदिरों में धूम मचती थी, लेकिन इस बार कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सभी मंदिरों में सीमित दायरे में सादगी पूर्ण तरीके उत्सव मनाया । संक्रमण काल को देखते हुए इस बार ज्यादातर भक्त घर पर ही कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मना रहे हैं। राजधानी रायपुर के राधा-कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी पर हर साल 551 लीटर दूध से भगवान कृष्ण का अभिषेक होता था, किंतु इस बार मात्र 51 लीटर दूध से ही अभिषेक हुआ। एक बार में सिर्फ पांच भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया, जिससे भीड न हो साथ ही फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम का भी पालन हो। इसके अलावा ऑन लाइन जन्माष्टमी उत्सव भी लोगों ने सेलीब्रेट किया। पूरे राज्य में अलग-अलग मंदिरों में इसी तरह पूजा- अर्चना संपन्न हुई। भक्तों को मंदिर में प्रसाद अर्पण करने की इस बार मनाही है। मास्क पहनने वालों को ही मंदिरों में प्रवेश दिया जा रहा है, साथ ही मंदिर में सेनीटाइजर की भी व्यवस्था की गई 

राजधानी रायपुर के जवाहर नगर स्थित राधा-कृष्ण मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मलैया महाराज ने बताया कि सुबह 8.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महाप्रभु श्री जुगल-जोड़ी सरकार का अभिषेक मात्र 51 लीटर दूध से किया गया। श्री हरि नाम संकीर्तन के साथ सुबह 10.30 बजे महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया। जन्माष्टमी पर इस मंदिर में हर साल भव्य झांकी बनाई जाती थी जिसमें कृष्ण जन्म की कथा को दर्शाया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए यहां यह झांकी नहीं बनाई गई। रात 12 बजे नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की… के जयकारे के साथ, थाली, मंजीरा व शंख बजाकर सादगी से जन्मोत्सव मनाया गया।

रायपुर के टाटीबंध स्थित इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष एचएच सिद्धार्थ स्वामी एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बताया कि पहली बार इस्कॉन मंदिर में ऑनलाइन जन्मोत्सव प्रसारण की व्यवस्था की गई । इसे भक्तगण फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम तथा इस्कॉन मंदिर के पेज पर घर बैठे देखा भक्तों को मंदिर में पूजन व प्रसाद एवं अन्य सामग्री अर्पित करने की अनुमित नहीं रही। सुबह 10 से रात तक हरि कीर्तन किया । इसका प्रसारण फेसबुक व अन्य सोशल साइट पर हो रहा है। सुबह भगवान का अभिषेक हुआ, छप्पन भोग, महाआरती भी निश्चित समय पर संपन्न होंगे। जैतूसाव मठ के ट्रस्टी महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस साल मालपुआ का भोग नहीं लगाया गया। मात्र पुजारीगण पूजा की रस्म निभा रहे । मंदिर में भक्तों को प्रवेश नहीं दिया गया ।

महामाया मंदिर रायपुर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ में एकमात्र महामाया मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के पहले योगमाया का जन्मोत्सव मनाया गया। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पहले देवी मां ने योगमाया के रूप में जन्म लिया था। देवकी ने जब श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब आकाशवाणी हुई कि बालक को गोकुल में नंदबाबा के घर ले जाया जाए। बाबा वासुदेव ने बालक कृष्ण को आधी रात को टोकनी में रखकर यमुना नदी को पार करते हुए गोकुल पहुंचाया। कंस को पता चला कि देवकी ने शिशु को जन्म दिया है तो वह कारावास में उसे मारने के लिए आया। बालक की जगह कन्या को देखकर कंस क्रोधित हुआ और जैसे ही उसका वध करना चाहा, योगमाया रूपी कन्या आकाश मार्ग से जाते-जाते चेतावनी दे गई कि कंस का काल गोकुल में पैदा हो चुका है। उसी योगमाया का प्रकटोत्सव मंदिर में मनाते हैं।

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