लखनपुर । सरगुजा जिले का जनपद कार्यालय लखनपुर एक ऐसा दफ्तर है, जहां दो-दो दशक से एक ही सीट पर लिपिक बैठ रहे है। न तो उनका तबादला होता है और न ही शाखा ही बदलती है। ऐसी परिस्थिति में जनपद कार्यालय में बाबूराज हावी है। शासकीय योजनाओं का बुरा हाल है। कागजों में ही जनपद को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। आधे अधूरे शौचालय व्यवस्था में सवाल खड़े कर रहे है।
लखनपुर जनपद पंचायत कार्यालय में एक दर्जन मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के तबादला होने के बाद भी कार्यालय के बाबू 20-30 वषोर् से एक ही स्थान में जमे हुए हैं। जनपद के वर्तमान सीईओ सन 2008-09 में लखनपुर खंड शिक्षाधिकारी के पद पर रहते हुए अपने कार्य दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं।
जनपद कार्यालय के लिपिक सालों से यहां पदस्थ है। कुछ वर्ष पूर्व जिला प्रशासन के निर्देश पर जनपद कार्यालय में पदस्थ लिपिकों का तबादला तत्कालीन कलेक्टर ऋतु सेन के आदेश पर किया गया था, सभी लिपिकों का तबादला एक सिरे से किए जाने को नियमों के विपरीत माना गया और सभी अपनी सीट पर जमे रह गए। यहां जनपद सीईओ की कुर्सी को लेकर भी विवाद चला आ रहा है।
पंचायत चुनाव के पूर्व जनपद सीईओ का स्थानांतरण हो चुका था। नए सीईओ ने पदभार संभाल लिया था। अचानक निवृत्तमान सीईओ का तबादला रुक जाने से उन्हें दोबारा कार्य का अवसर मिल गया। जनपद में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों की कार्यशैली अब विवादों में घिरती जा रही है।
शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही का भी आरोप लग रहा है। कई ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत अधूरे शौचालय बनवा कर छोड़ दिए गए है। संपूर्ण राशि आहरित हो चुकी है। शौचालयों का निर्माण नहीं होने के बावजूद पंचायतों को कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। हितग्राही परेशान है, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।