अंबिकापुर। कचरे को संसाधन के रूप में परिमार्जित कर आय उपार्जक गतिविधियों में लगे नगर निगम अंबिकापुर द्वारा शहर से एकत्रित गीला कचरा से तैयार कंपोस्ट खाद झारखंड की राजधानी रांची पहुंच चुकी है। कचरा प्रबंध का पूरा काम शहर में महिलाओं के द्वारा संचालित होता है और इन महिलाओं को शहर के लोग स्वच्छता दीदी के नाम से बुलाते हैं।
रांची की एक फर्म ने स्वच्छता दीदियों द्वारा तैयार 300 टन कंपोस्ट खाद की मांग की थी जिसकी आपूर्ति की जा रही है। अंबिकापुर नगर निगम द्वारा शहर के घरों, होटलों से एकत्रित होने वाले गीले कचरे से अभी तक 1000 टन कंपोस्ट खाद का निर्माण किया जा चुका है। इसका चौतरफा फायदा नगर निगम प्रशासन को हो रहा है।
खुले बाजार में तीन रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाली कंपोस्ट खाद की सरकारी सप्लाई भी हो रही है। कृषि और उद्यान विभाग के माध्यम से भी नगर निगम प्रशासन इसकी खपत कर रहा है। शहरवासी बागवानी के लिए भी कंपोस्ट खाद की खरीदी कर रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह कि अंबिकापुर शहर को ग्रीन सिटी बनाने इन दिनों चल रहे पौधरोपण अभियान एवं नगर के एक एकड़ खाली भूमि में लेमन गार्डन विकसित करने लगाए जा रहे नींबू के पौधे में भी गीले कचरे से निर्मित कंपोस्ट खाद का उपयोग किया जा रहा है। इससे नगर निगम को हर बार उद्यानों व पौधा रोपण के दौरान रासायनिक व जैविक खादों की खरीदी में जो पैसे खर्च करने पड़ते थे उससे भी बड़ी राहत मिली है।
नगर निगम अंबिकापुर स्वच्छता में मॉडल शहर बन चुका है। जहां सूखे कचरे की बिक्री कर 457 महिलाओं को आय अर्जित करने का बड़ा जरिया मिल चुका है,वहीं गीला कचरा जिसका निपटान इस शहर के लिए सिरदर्द था,वही गीला कचरा आय अर्जित करने का बड़ा माध्यम बन चुका है।
नगर से लगे भिठ्ठीकला में नगर निगम ने कंपोस्टिंग मशीन लगाई है,जहां शहर का गीला कचरा महिलाओं के माध्यम से एकत्र होता है जो हर रोज पहुंचता है और महिलाएं ही यहां गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने का काम कर रही हैं। एक वर्ष में लगभग 1000 टन कंपोस्ट खाद तैयार हुआ है।
अभी तक 180 टन खाद की बिक्री हो चुकी है।नगर निगम के उद्यानों में 80 टन खाद उपयोग में लाया जा चुका है। 300 टन की मांग रांची के एक फर्म ने की थी जिसकी सप्लाई नगर निगम ने शुरू कर दी है। दो ट्रक कंपोस्ट खाद रांची भेजी जा चुकी है। अब तक 2 लाख 16 हजार स्र्पये की आय कंपोस्ट खाद की बिक्री से नगर निगम ने प्राप्त की है।
अंबिकापुर शहर में गीले कचरे से निर्मित गुणवत्तायुक्त कंपोस्ट खाद खुले बाजार में शहर वासियों के लिए बिक्री की जाती है। तीन रुपए किलो शहरवासी यह खाद खरीद कर ले जाते हैं और अपने घरों के गमलों एवं छोटे उद्यानों में उपयोग करते हैं। किचन गार्डन के शौकीन लोगों के लिए तो शहर का यह कंपोस्ट खाद वरदान साबित हो रहा है। अब शहर के आसपास के किसान भी धान की नर्सरी लगाने व साग- सब्जियों के लिए इसी कंपोस्ट खाद की खरीदी करने लगे हैं।
अंबिकापुर शहर स्वच्छता में यदि नंबर वन है तो इन्हीं सब कारणों से। हम सूखे कचरे को सोना बना चुके हैं जिसे बेचकर सैकड़ों महिलाओं के घर का चूल्हा जल रहा है। हर माह मानदेय मिलता है।गीला कचरा हमारे लिए परेशानी का सबब था, इसलिए हमने कंपोस्टिंग मशीन लगाकर हर रोज निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग कंपोस्ट खाद बनाने में कर रहे हैं जिसमें हमें सफलता मिल गई है। सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि हम अपने बनाए खाद का उपयोग अपने शहर के ही उद्यानों एवं पौधारोपण में कर रहे हैं।आने वाले दिनों में इसे और बड़ा रूप देंगे।लॉकडाउन में होटल इत्यादि बंद थे इस कारण कंपोस्ट खाद बनाने का जो लक्ष्य था वह कम है किंतु अब धीरे-धीरे होटल खुलेंगे और हमें गीला कचरा भी अधिक मिलेगा। इससे खाद भी ज्यादा बनेगा।